किसानों ने 29 दिसम्बर मीटिंग दिया था वक्त
(Farmers Meeting 30 December)
- सरकार ने एक दिन और बढ़ाया
- गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की बैठक
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले एक महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार ने सोमवार को फिर से बातचीत के लिए न्योता दिया है। सरकार ने किसान संगठनों को 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में बातचीत करने के लिए बुलाया है। ‘इससे पहले किसानों ने शनिवार को सरकार को चिट्ठी लिखकर मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त दिया था। उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं। उधर किसानों की बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की एक बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक हुई।
हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग
आम आदमी पार्टी (आप) सांसद एवं हरियाणा के सह-प्रभारी सुशील गुप्ता ने राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। डॉ़ गुप्ता ने सोमवार को खट्टर को लिखे पत्र कहा कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और कृषि कानूनों पर चर्चा कराकर इन्हें वापस कराने का प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा जाए।
- इन कानूनों का विरोध करने वाले किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने की भी मांग की है।
- हरियाणा में आंदोलन में शामिल अन्नदाताओं पर जो मुकदमें राज्य सरकार ने दर्ज किए हैं उनको तुरंत वापस ले ।
- वह केन्द्र सरकार को भी पत्र लिखकर ऐसा करने का आग्रह करे।
- डॉ. गुप्ता ने कहा कि आप पार्टी किसानों के विरुद्ध दमनकारी कार्यों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
किसान की अनदेखी से आत्मनिर्भरता नहीं आएगी : राहुल
(Farmers Meeting 30 December)
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि देश का अन्नदाता सड़कों पर आंदोलन कर रहा है और सरकार उनके साथ उपेक्षित व्यवहार कर रही है लेकिन उसे समझना चाहिए कि किसानों की अनदेखी कर देश में आत्मनिर्भरता नहीं आ सकती है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘किसान की आत्मनिर्भरता के बिना देश कभी आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।कृषि विरोधी कानून वापस लो। किसान बचाओ, देश बचाओ! इस बीच कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि देश के करोड़ों किसान दिल्ली की सड़कों पर बैठकर तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार को उनकी चिंता नहीं है।
सरकार उनके बारे में कोई विचार नहीं कर रही है।
कड़कडाती ठंक के बीच किसान सड़कों पर बैठा है और सरकार को उनकी सुध लेनी चाहिए।
अब तक आंदोलन कर रहे 47 किसानों की जान जा चुकी है और सरकार शांत होकर तमाशा देख रही है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।