एक साल पुराने बिना धुले बिस्तर मार रहे बदबू (Haal-E-Rain Basera)
सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। शहर में नगर निगम द्वारा संचालित रैन बसेरों (Haal-E-Rain Basera) की हालत कुछ ठीक नहीं है। यहां सुविधाओं को टोटा है। कहीं पर पानी नहीं है तो कहीं दीवारें टूटी पड़ी हैं। इस कारण अंदर ठंड से लोग परेशान होते हैं। इसके अलावा रैन बसेरों में बिस्तर भी पिछले साल के ही रखे हुए हैं। बिना धुले इन बिस्तरों में से बदबू उठ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि रैन बसेरों के नाम पर लाखों का बजट तो नगर निगम बनाता है, लेकिन वह खर्च कहां पर हो रहा है। हमने दो रैन बसेरों का दौरा किया तो वहां कई समस्याएं पता चली।
गुरुग्राम नगर निगम की ओर से शहर में बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए रैन बसेरे संचालित किए जा रहे हैं। शुरूआत में तो रैन बसेरे हरियाणा रोडवेज की पुरानी बसों में शुरू किए गए थे। इसके बाद धीरे-धीरे कई जगह पर स्थायी रैन बसेरे भी बना दिए गए। वहीं कई जगह अस्थायी रैन बसेरे भी हैं। अब बात करते हैं इन रैन बसेरों में दी जा रही सुविधाओं की। सुविधाओं के नाम पर यहां खानापूर्ति अधिक नजर आती है। शहर में कादीपुर, भीमनगर, श्रीमाता शीतला मंदिर, कन्हई, बादशाहपुर में पक्के रैन बसेरे हैं, वहीं रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सोहना चौक, राजीव चौक और इफको चौक पर अस्थायी रैन बसेरे नगर निगम द्वारा बनाए गए हैं।
शौचालय में पानी ही नहीं आ रहा
यहां कादीपुर में नगर निगम द्वारा बनाए गए रैन बसेरे की बिल्डिंग देखकर लगता है कि यह आशियाना बहुत ही अच्छा होगा। लेकिन यहां ऊंची दुकान फीका पकवान वाली कहावत फिट बैठती है। क्योंकि यहां जितनी सुंदर बिल्डिंग है, अंदर कहीं अधिक सुविधाओं का टोटा है। आसपास रोजाना उड़ने वाली धूल-मिट्टी से तो यहां सारे कमरे धूल से अटे पड़े ही हैं, साथ में यहां पानी की सप्लाई नहीं होने के कारण स्थिति और भी बदतर है।
पानी नहीं होने से यहां वॉश बेसिन, टॉयलेट शीट आदि गंदगी से अटी पड़ी हैं। यहां रहने को तो चंद लोग रात में आते हैं, लेकिन उनको शौचालय के लिए कहीं दूसरी जगह जाना पड़ता है। यहां की देखरेख करने वाले कर्मचारी का कहना है कि रैन बसेरे के पीछे लाइन से पानी की कनेक्शन लिया गया है। वहां बीच में पाइन लीकेज होने के कारण रैन बसेरे की टंकियों में पानी नहीं पहुंच पाता। इस कारण से यहां परेशानी हो रही है।
भीम नगर रैन बसेरे में टूटी व खराब दीवारें
बात करें भीम नगर में बनाए गए रैन बसेरे की तो यहां पर भी समस्याएं हैं। पहली तो यह कि यहां जो बिस्तर रखे गए हैं, वे पिछले साल के हैं। उन्हें धोया नहीं गया है। इस कारण उनमें से बदबू उठ रही है। ऐसे में यहां पर रुकना भी बीमार होने के बराबर है। यहां कर्मचारी बताते हैं कि रात को 1 व्यक्ति ही यहां ठहरने आता है। जबकि यहां व्यवस्था करीब 35-40 लोगों के ठहरने की है। रैन-बसेरा परिसर में ही पुराने बिस्तरों का ढेर लगा पड़ा है। वे खराब हो चुके हैं। अंदर रखे बिस्तर भी यहां एकाध लोग मजबूरी में ही उपयोग करते हैं।
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