डब्बू कभी भी अपना होमवर्क पूरा करके स्कूल नहीं जाता था। होमवर्क पूरा न करने के कारण स्कूल में उसे रोज डांट सुननी पड़ती थी और मार भी खानी पड़ती थी लेकिन वह अपनी आदत नहीं सुधारता था। मां जब उसे समझाती तो वह कहता, ‘दूसरे बच्चे भी तो होमवर्क पूरा करके नहीं लाते तो मैं ही क्यों ले जाऊं?’
एक बार की बात है, डब्बू को स्कूल में होमवर्क दे कर क्लास टीचर गोलू सियार ने सख्त हिदायत देते हुए कहा, ‘अगर तुम कल होमवर्क पूरा करके नहीं लाये तो तुम्हें दिनभर मुर्गा बनाकर धूप में छोड़ दूंगा।’ डब्बू को मुर्गा बनने से बहुत डर लगता था, उसने ठान लिया कि चाहे कुछ हो जाए। कल वह होमवर्क पूरा करके जरूर जाएगा। घर आकर उसने हल्का नाश्ता किया और तुरंत होमवर्क करने बैठ गया। आज वह खेलने नहीं गया। उसे होमवर्क करते देख मां को बहुत हैरानी हुई और खुशी भी। मां को एक जरूरी काम से उसे बाजार भेजना था, लेकिन उन्होंने पढ़ने से नहीं उठाया, अच्छा ही है कि वह अपना होमवर्क पूरा कर रहा है माँ ने सोचा, ‘मैं खुद जाकर बाजार से सामान ले आती हूं।’यह सोचकर मां ने डब्बू से कहा, ‘मैं सामान लाने जा रही हूं,घर का भी ध्यान रखना।’
डब्बू होमवर्क करने में मग्न था। तभी वहां उसके दोस्त भोलू भालू, छोटू हाथी, चंपू चूहा आए। डब्बू को होमवर्क करते देख तीनों एक साथ बोले, ‘तुम यहां बैठकर होमवर्क पूरा कर रहे हो और वहां हम मैदान में बैठकर तुम्हारा कब से इंतजार कर रहे थे। आज खेलने नहीं चलोगे क्या?’ ‘नहीं यार, मुझे अपना होमवर्क पूरा करना है,’ डब्बू ने जवाब दिया, ‘तुम लोग जाओ।’
‘तुम होमवर्क क्यों कर रहे हो?’ चंपू बोला।
‘अगर होमवर्क पूरा नहीं करूंगा तो टीचर मुझे मुर्गा बना देंगे।’
‘कैसे बना देंगे,’-छोटू हाथी ने अकड़ते हुए कहा, ‘अगर उन्होंने तुम्हें मुर्गा बनाने की कोशिश की तो हम लोग उसका विरोध करेंगे।’
‘हां, विरोध करेंगे, भोलू और चंपू ने भी समर्थन किया।
दोस्तों की बातों में आ कर उसका मन डोल गया। उसने कुछ सोचते हुए कहा, ‘ठीक है, तुम लोग जाओ। मैं पीछे से आता हूं। मां बाजार गई है मां के आते ही मैं वहां आ जाऊंगा।’
तीनों चले गए। डब्बू ने होमवर्क करना छोड़ दिया। कुछ ही देर में उसकी मां बाजार से लौट आई, ‘मां, मैं खेलने जा रहा हूं।’ उसने कहा।
‘लगता है तुमने अपना होमवर्क पूरा कर लिया।’ मां खुश हो कर बोली।
‘अभी पूरा नहीं किया। खेलकर आने के बाद पूरा कर लूंगा।’ उसने कहा।
‘बेटा, काम अधूरा छोड़ना अच्छी बात नहीं है, मां ने उसे समझाने की कोशिश की, ‘अपना होमवर्क पूरा करके खेलने जाओ।’
लेकिन मां की बात अनुसनी करके वह खेलने चल दिया।
होमवर्क पूरा करके न जाने के कारण अगले दिन टीचर उस पर बहुत नाराज हुए। उन्होंने गुस्से में आ कर उसे मुर्गा बना दिया। डब्बू के दोस्त उसकी कोई मदद नहीं कर सके जबकि उन्होंने कल कहा था कि अगर टीचर ने तुम्हें मुर्गा बनाने की कोशिश की तो हम विरोध करेंगे। उसे अपने दोस्तों पर बहुत गुस्सा आया। एक घंटे तक मुर्गा बनाने के बाद टीचर ने उसे माफ कर दिया। उन्होंने पूछा, ‘तुमने अपना होमवर्क पूरा क्यों नहीं किया था। क्या किसी जरूरी काम में उलझ गए थे?’ तब डब्बू ने उन्हें दोस्तों के बारे में बताया। टीचर ने कहा, ‘दूसरे की सिखाई गलत सीख दीवार बन कर रास्ता रोकती है। तुम्हें दूसरे के प्रति नहीं, स्वयं के प्रति उत्तरदायी होना सीखना चाहिए। इससे तुम्हारे कर्मठ जीवन की नींव खड़ी होगी। याद रखो, इसी से तुम जीवन में सफलता पा सकोगे।
-हेमंत यादव
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