घट रहा कोविड-19 संक्रमण, बढ़ रही आधिकारिक, नेतागिरी लापरवाही
सच कहूँ/संदीप सिंहमार। हिसार। एक देशी लोकोक्ति आप …बैंगन खाए औरों को परहेज बताए, हरियाणा में विशेष तौर सुनी जा सकती है। हालांकि बैंगन खाना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक नहीं है, परंतु इस लोकोक्ति का आशय यह होता है कि ऐसा व्यक्ति जो दूसरों को किसी विशेष नियम के पालन करने के उपदेश जारी करता है, जबकि खुद नियम तोड़ता रहता है। फिलहाल यह कहावत वैश्विक महामारी कोविड-19 के इस मुश्किल दौर में अधिकारियों व सत्तासीन नेताओं पर स्टीक बैठती है। शुरुआती लॉकडाउन के दौरान चाहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में मास्क लगाना जरुरी करार दिया हो।
इतना ही नहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय व स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में भी वैक्सीन ना आने तक मास्क लगाना अनिवार्य किया गया हो, ऐसी स्थिति में भी देश की विधान पालिका व कार्यपालिका में शामिल जिम्मेदार ही इस नियम को तोड़ते नजर आए तो ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन करने वाले अनपढ़ लोगों को मास्क लगाने के प्रति कैसे जागरुक किया जा सकता है? कोविड-19 संक्रमण के फैलाव को यदि वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार देखा जाए तो संक्रमण लगातार घटता जा रहा है, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण घटकर रिकवरी रेट बढ़ने लगी है ,वैसे ही आधिकारिक वन नेतागिरी लापरवाही लगातार बढ़ती जा रही है।
जिला प्रशासन की तरफ से आयोजित होने वाले आधिकारिक समारोह व बैठकों में शामिल होने वाले अधिकारी जहां मास्क लगाने से कतराते नजर आते हैं तो वही सत्तासीन नेता भी कम नहीं है। सरकार में शामिल विधायक व सांसद तक के चेहरे पर या तो मास्क नजर नहीं आता या फिर फोटो खिंचवाने के शौक में मास्क उतार दिया जाता है।
लापरवाही का पहला मामला
शुक्रवार को हिसार में ऐसे कई नजारे देखने को मिले। पूर्व आईएएस अधिकारी एवं हिसार लोकसभा क्षेत्र के सांसद बृजेंद्र सिंह जिला सभागार में जब जिला विकास समन्वय एवं निगरानी कमेटी दिशा की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे तो इन पढ़े लिखे नेताजी के मुंह पर भी मास्क नजर नहीं आया। इतना ही नहीं इनके साथ विराजमान राज्यसभा सांसद डीपी वत्स, हांसी के विधायक विनोद भयाना व बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग के मुंह पर भी सही तरीके से मास्क नजर नहीं आया। इस दौरान हिसार की उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने मास्क लगाए रखा।
लापरवाही का दूसरा मामला
अधिकारियों द्वारा मास्क न लगाने के नियम का दूसरा उल्लंघन मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी योजना के परियोजना निदेशक डॉ राकेश गुप्ता की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी देखने को मिला। इस दौरान भी एक अधिकारी के चेहरे पर तो मास्क ही नहीं था तो दूसरे अधिकारी कभी प्रॉपर तरीके से मास्क लगाते ही नहीं। उन्होंने इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी ऐसा ही किया।
लापरवाही का तीसरा मामला
ऐसा ही लापरवाही का तीसरा मामला देश को शिक्षित करने की जिम्मेदारी का भार ढो रहे शिक्षकों के एक प्रतिनिधि मंडल में देखने को मिला। वो भी ऐसे वक्त जब उनका बॉस यानी जिला शिक्षा अधिकारी भी उनके पास मौजूद हो। दरअसल अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप सिहाग से उनके कार्यालय में मिलने आया। इस प्रतिनिधिमंडल में खुद जिला शिक्षा अधिकारी ने नियमों का पालन करते हुए मास्क लगाए रखा। लेकिन प्रतिनिधिमंडल में शामिल लगभग सभी प्राध्यापक बिना मास्क के ही मिलते रहे।
सुलगते सवाल :
वैश्विक महामारी पर नियंत्रण के लिए जब मास्क लगाना जरुरी किया गया है तो इन अधिकारियों व नेताओं को मास्क लगाने की छूट किसने प्रदान की? यदि नहीं तो जब आम जनता का चालान किया जा रहा है तो इन महानुभावों का चालान करने की जिम्मेदारी किसकी है? इनका चालान क्यों नहीं काटा जा रहा? ये सबसे बड़े सुलगते हुए सवाल सबके मन को जरुर कचोटते हैं। इससे भी बड़ी चिंता की बात तो यह है कि जो उच्च शिखर के नेता कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, वह नेता जी भी लापरवाही का जिम्मा संभाल कर मास्क लगाने से बचते रहते हैं। वर्तमान परिदृश्य में इन अधिकारियों व नेताओं को भी नियमों का पालन करना चाहिए, नहीं तो संक्रमण फैलने का कारण अब यही लापरवाही बनती नजर आ सकती है।