नई दिल्ली (एजेंसी)। किसान संगठनों ने तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग की है अन्यथा आठ दिसंबर को भारत बंद की धमकी दी है। किसान संगठनों की शुक्रवार को हुई बैठक में भारत बंद का आह्वान किया गया। किसान संगठनों ने कहा है कि जरूरत होने पर दिल्ली की सीमाओं को भी सील किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ कल की बैठक बहुत महत्वपूर्ण है और वे इस पर नजर रखे हुए हैं।
दिल्ली एनसीआर में जारी किसान आंदोलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली एनसीआर सीमा पर जारी किसान आंदोलनों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका ऋषभ शर्मा की ओर से दायर की गई है, जिसमें दिल्ली एनसीआर में कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर किसानों के प्रदर्शन को खत्म करवाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में दिल्ली के सभी बॉर्डर को खोलने के लिए संबंधित ऑथॉरिटी को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों को मुहैया कराई गई जगह पर शिफ्ट करने के लिए सम्बंधित ऑथॉरिटी को निर्देश दिया जाए।
याचिका में कहा गया है कि किसानों के इतनी बड़ी संख्या में जमा होने से कोरोना के सामुदायिक प्रसार का खतरा बढ़ गया है, इसलिए इनको तुरंत हटाया जाना चाहिए। याचिका में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क बंद कर दिया है जिससे आपातकालीन और चिकित्सा सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए लोग दिल्ली आते हैं जिनको दिक्कत हो रही है याचिकाकर्ता का कहना है कि 26 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने किसानों को बुराड़ी निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी थी, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।
किसानों को खालिस्तानी न कहे मीडिया: एडिटर्स गिल्ड
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने मीडिया के एक हिस्से द्वारा राजधानी में किसान आंदोलन में भाग लेने आये किसानों को “खालिस्तानी” और “देशद्रोही” बताए जाने की कड़ी निंदा की है और मीडिया से जिम्मेदार एवं निष्पक्ष पत्रकारिता करने का अनुरोध किया है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और महासचिव संजय कपूर द्वारा शुक्रवार को यहां जारी विज्ञप्ति में यह चिंता व्यक्त की गई है कि मीडिया का एक हिस्सा किसानों को खालिस्तानी तथा देशद्रोही बता रहा है और उनके आन्दोलन को बदनाम कर रहा है। विज्ञपति में कहा गया है कि बिना किसी सबूत के किसानों पर इस तरह के आरोप लगाना उचित नहीं।
दिल्ली में किसी भी वस्तु की कमी नहीं होगी:व्यापारी परिसंघ
व्यापारियों के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में आपूर्ति बाधित होने की आशंकाओं पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि राजधानी में आवश्यक वस्तुओं सहित अन्य वस्तुओं की उपलब्धता में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।
परिसंघ के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को यहां बताया कि ट्रांसपोर्ट संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन(ऐटवा) के प्रमुख प्रदीप सिंघल एवं अन्य सदस्यों से बातचीत की गयी है। ऐटवा ने दिल्ली में आपूर्ति सुचारू बनायें रखने का आश्वासन दिया है।
परिसंघ ने एक बयान में कहा है कि दिल्ली देश में माल का सबसे बड़ा वितरण केंद्र है। दिल्ली विभिन्न राज्यों से होने वाली आपूर्ति पर निर्भर है। वर्तमान में किसानों के आंदोलन के कारण दिल्ली की सीमायें बंद हैं। हालांकि ट्रांसपोर्टर्स किसी भी तरह से दिल्ली में प्रवेश करने का प्रबंध कर रहे हैं और फिलहाल लगभग 70 प्रतिशत सामान दिल्ली आ रहा है।
ममता ने कृषि विधेयक का विरोध कर रहे किसानों के साथ जतायी एकजुटता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कृषि विधेयक का विरोध कर रहे किसानों के प्रति शुक्रवार को एकजुटता व्यक्त की। सुश्री बनर्जी ने ट्वीट किया, “आज से 14 साल पहले मैंने कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण के विरोध में 26 दिन की भूख हड़ताल की थी।”उन्होंने कहा, “मैं उन सभी किसानों के साथ हूं जो उस बेरहम कृषि विधेयक का विरोध कर रहे हैं जिसे केंद्र सरकार ने बिना परामर्श के पारित कर दिया।”
सुश्री बनर्जी ने गुरुवार को सभी किसानों और उनकी आजीविका को लेकर चिंता जतायी थी। उन्होंने कहा, ‘हमने शुक्रवार चार दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस की बैठक बुलाई है। हम चर्चा करेंगे कि आवश्यक वस्तु अधिनियम आम लोगों को कैसे प्रभावित कर रहा है और इसके परिणामस्वरूप कीमतें क्यों आसमान छू रही हैं।” उन्होंने केंद्र सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की है।
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