नई दिल्ली। सरकार ने जैविक बासमती चावल का मूल्यवर्धन करने और इसके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यहां बताया कि बासमती निर्यात विकास संगठन-बीईडीएफ ने उत्तर प्रदेश के मोदीपुरम में बासमती चावल की विविधता की पहचान और कीटनाशक अवशेषों, एफ्लाटॉक्सिन और भारी धातुओं के परीक्षण के लिए डीएनए फिंगर प्रिंटिंग की सुविधाओं के साथ अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की है। प्रयोगशाला और प्रदर्शन तथा प्रशिक्षण फार्म, एसवीपी कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया है। संगठन की गतिविधियां बासमती चावल के निर्यात के लिए आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने पर केंद्रित हैं। बीईडीएफ की 8वीं वार्षिक आम बैठक पिछले सप्ताह ही आयोजित की गई थी।
बैठक के दौरान, जैविक बासमती चावल की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सभी पक्षों के साथ एक कार्यशाला आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया। निर्यातकों को मूल्य संवर्धन और उत्पाद में विविधता के लिए प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया गया। भारत से निर्यात के मामले में बासमती चावल सबसे बड़ा कृषि उत्पाद है। वर्ष 2019-20 के दौरान चार अरब 33 करोड़ 10 लाख डॉलर के 44 लाख टन से ज्यादा बासमती चावल का निर्यात किया गया। पिछले 10 वर्षों में, बासमती चावल के निर्यात में दोगुनी से अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 2009-10 के दौरान बासमती चावल का निर्यात लगभग 22 लाख टन था। बासमती चावल के प्रमुख बाजार सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात , ईरान, यूरोपीय संघ और अमेरिका हैं। बासमती चावल एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) है।
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