पंजाब में कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जिला भटिंडा के कस्बा भक्ताभाई में डेरा सच्चा सौदा के एक श्रद्धालु की दिनदहाड़े गोलियां मारकर हत्या कर दी। हमलावर सीसीटीवी कैमरे में गोलियां चलाते हुए साफ दिख रहे हैं, लेकिन 24 घंटों बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। दरअसल शरारती तत्वों को भी पुलिस प्रशासन की कमजोरियों का पता है और वे अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में कामयाब हो रहे हैं। वास्तव में डेरा श्रद्धालुओं के साथ भेदभावपूर्ण नागरिकों वाला व्यवहार हो रहा है। डेरा श्रद्धालुओं के खिलाफ हिंसा का यह पहला मामला नहीं, इससे पहले भी छह श्रद्धालु हिंसा के शिकार हो चुके हैं जिनके हत्यारों को ढूंढने व सजा देने में पुलिस को कोई सफलता अब तक नहीं मिली।
मानवता भलाई में विश्व रिकार्ड बना चुके डेरा श्रद्धालुओं पर अत्याचार बेहद निंदनीय घटना है। ऐसे में सबसे बड़ी विडंबना तो तब हो गई जब डेरा श्रद्धालुओं का नाम बेअदबी मामलों में जोड़ दिया गया। सीबीआई ने चार वर्षों तक जांच की जब आरोप बेबुनियाद मिले तब सीबीआई ने सभी डेरा श्रद्धालुओं को क्लीन चिट दी। इसके बावजूद पंजाब पुलिस ने बराबर जांच कर केवल दो दिनों की गिरफ्तारी के बाद डेरा श्रद्धालुओं के खिलाफ चालान भी पेश कर दिया, जो पुलिस कार्रवाई पर कई सवाल खड़े करता है। डेरा श्रद्धालुओं को निर्दोष साबित करने की एक और मिसाल जस्टिस जोरा सिंह कमीशन की जांच रिपोर्ट है, जिसमें कहीं भी डेरा श्रद्धालुओं का जिक्र नहीं था।
पुलिस ने बार-बार केस को नया मोड़ देकर इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। दरअसल पंजाब पुलिस बेअदबी के दोषियों को ढंूढने में नाकाम रही है। स्वार्थ की राजनीति करने वाले लोगों ने बदले की भावना से डेरा श्रद्धालुओं को बेअदबी के मामलों में फंसा दिया जोकि सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। पंजाब पहले भी आतंकवाद को झेल चुका है और कुछ ताकतें दोबारा पंजाब की अमन-शांति को भंग करने का प्रयास कर रही हैं। सरकार पूरी ईमानदारी, इच्छा शक्ति व दृढ़ता से समाज को बांटने वाली ताकतों का पदार्फाश करे व दोषियों को दंड दे, इसी में पंजाब की भलाई है।
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