हैदराबाद। देश में शनिवार को दीवाली मनाये जाने के साथ-साथ चंद्रमा पर भारतीय ध्वज के पहुंचने के बारहवीं वर्षगांठ भी खुशियां के साथ मनाई जा रही है। प्लैनेटरी सोसायटी ऑफ इंडिया के निदेशक एन रघुनंदन कुमार ने कहा कि वर्ष 2008 में 14 नवंबर को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तरफ से विकसित मून इंम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) चंद्रमा के सतह पर उतरा था। एमआईपी में भारतीय ध्वज भी लगा था और दोनों एक साथ चंद्रमा पर उतरे थे। यह सब इसरो के चंद्रयान-1 मिशन के तहत हुआ था। एमआईपी 2008 में 14 नवंबर को 20:06 बजे चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले चंद्रयान-1 से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
कुमार ने कहा कि इस सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा पर अपना ध्वज पहुंचाने वाला विश्व का पांचवा देश बन गया था। यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उन्होंने कहा कि इसके एक वर्ष बाद 2009 में अमेरिका के नासा ने अपने मून मिनरॉलजी मैपर की मदद से चंद्रमा पर जल की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इसरो ने भी एमआईपी के जरिये जुटाये गये आंकड़े प्रस्तुत कर चंद्रमा पर जल के मौजूद होने की पुष्टि की थी। कुमार ने कहा कि वर्ष 2008 के बाद से प्रत्येक वर्ष प्लैनेटरी सोसायटी ऑफ इंडिया भारत की इस महान उपलब्धि का उत्सव मनाता है और लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहता है। दुर्भाग्यवश बहुत से लोग इस सच्चाई को नहीं जानते कि 14 नवंबर को भारत का राष्ट्रीय ध्वज चंद्रमा पर पहुंचा था। लाेग 14 नवंबर को केवल ‘बाल दिवस’ के रूप में जानते और मनाते हैं।
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