(Cultivation of Asafetida and Saffron)
शिमला। हिमाचल प्रदेश कृषि निदेशक डॉ. नरेश बधान ने कहा है कि औषधी गुणों से भरपूर (Asafetida and Saffron) हींग और केसर की खेती की पैदावार के लिए ऊंचाई वाले स्थानों में अनुकूल पाई गई। अब हींग की प्रदेश में पैदावार होगी। डा0 बधान ने आज यहां बताया कि देश में अभी तक पूरी तरह से हींग को बाहर से आयात किया जाता है। हींग व केसर की खेती मण्डी, चम्बा, लाहौल स्पिति व किन्नौर जिलों की उंचाई वाले क्षेत्रों के लिए बहुत ही अनुकूल पाई गई है।
राज्य सरकार ने इस खेती को बढावा देने के लिए इस वर्ष से कृषि से सम्पन्नता योजना आरम्भ की है। इस योजना का क्रियान्वियत करने के लिए विभाग द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इसके लिए विभाग द्वारा पिछले 6 जून को आईएचबीटी के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है। उन्होनें बताया कि लाहुल स्पीति जिले के कोरिंग गांव में प्रदेश व देश का पहला हींग का पौधा रोपित किया गया है।
इसी के तहत रविवार को वैज्ञानिक एवम औद्यौगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. शेखर पाँडे व कृषि निदेशक डॉ. नरेश कुमार बधान, व वैज्ञानिक एवम औद्यौगिक अनुसंधान परिषद पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय व अन्य वैज्ञानिको के साथ मण्डी जिला के सराज विधान सभा क्षेत्र जंजैहली के ग्राम पंचायत ढीम कटारू के किसानों के साथ हींग व केसर की खेती के बारे में चर्चा की तथा टीम सहित हींग के पौधे रोपित किए। उन्होंने कहा कि जंजैहली की जलवायु भी हींग की खेती के लिए उपयुक्त है।
कृषि निदेशक ने बताया कि इस योजना में किसानों के खेतों में हींग की फसल के प्रदर्शन लगाना शामिल है। इसके साथ-साथ अधिकारियों व किसानों को इस खेती की विधि की व्यापक जानकारी देने के लिए प्रशिक्षणों का प्रावधान भी है। हींग और केसर की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था का सुदृढ होना भी अतिआवश्यक है अत: भू-संरक्षण अधिकारियों को विभाग द्वारा आदेश दिए हैं कि वह इन क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ करने के लिए योजना बनाए।
उन्होनें बताया की कृषि से सम्पन्नता योजना के अर्न्तगत हींग व केसर की खेती के लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। हींग की खेती के लिए विभाग ने 5 वर्षों में 302 हैक्टेयर क्षेत्र और केसर की खेती के लिए तीन वर्षों में 3.5 हैक्टेर क्षेत्र को इसके अर्न्तगत लाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि विभाग इन लक्ष्यों को समयवक्त तरीके से पूरा करने का भरसक प्रयास करेगा जिससे की किसानों की आर्थिकी में बढ़ोतरी हो व प्रदेश कृषि के क्षेत्र में और उन्नती व तरक्की करे।
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