रूस ने 1957 में आज ही के दिन स्पुतनिक 2 अंतरिक्ष यान को रवाना किया था जिसके जरिए पहली बार किसी प्राणी को अंतरिक्ष में भेजा गया। पृथ्वी की कक्षा में जाने वाला यह दूसरा अंतरिक्ष यान था। 4 मीटर लंबे और 2 मीटर व्यास वाले कैप्सूल की आकार के स्पुतनिक 2 में एक कुतिया को भेजा गया जिसका नाम लाइका था। अंतरिक्ष यान में रेडियो ट्रांसमीटर, टेलिमेट्री सिस्टम, तापमान नियंत्रक तंत्र के अलावा लाइका के लिए खास केबिन भी था। हालांकि इसमें कोई टीवी कैमरा नहीं था। अक्सर लाइका के तस्वीर को लेकर दुविधा होती है। लाइका को एयरफोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ एविएशन मेडिसिन ने 10 उम्मीदवारों का परीक्षण करने के बाद चुना था क्योंकि उसका तापमान एक समान रह रहा था। 6 किलो वजन वाली लाइका के लिए बना केबिन ऐसा था कि वह आराम से रह सके।
इस मिशन का एक मकसद यह जानना था कि अंतरिक्ष में किसी इंसान को भेजना कितना सुरक्षित है और वहां की स्थिति कैसी है। एयर जेनरेशन सिस्टम के जरिए उस ऑक्सीजन, भोजन और पानी देने की व्यवस्था की गई थी और इलेक्ट्रोड के जरिए उसके जीवन संकेतों से जुड़े आंकड़े जुटाने का इंतजाम था। अक्टूबर 2002 में रूसी सूत्रों से पता चला कि अत्यधिक गर्मी और तनाव के कारण कुछ ही घंटों में वह मर गई थी। इससे पहले लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि दम घुटने से उसकी मौत हुई। यह एक ऐसा सूइसाइड मिशन था जो मानवता के लिए बड़ा बलिदान साबित हुआ। इसे सूइसाइड मिशन इस लिए कह सकते हैं क्योंकि मिशन में शामिल वैज्ञानिकों को अंदाजा था कि लाइका का धरती पर जिंदा वापस लौटना संभव नहीं है। उन्होंने जो अंतरिक्षयान बनाया था, उसमें तकनीकी खामी थी। तकनीकी रूप से वह रॉकेट इतना सक्षम नहीं था कि धरती पर वापस लौट सके।
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