प्रशिक्षण देने के लिए 6 महीने के लिए नियुक्त होंगे एजूकेशन वॉलंटियर, मिलेगा 9 हजार रूपए प्रति महीना मेहनताना
सच कहूँ/सुनील वर्मा सरसा। 6 से 14 वर्ष के बालक-बालिकाएं जो स्कूल छोड चुके हैं, उन्हें आयु अनुरूप कक्षा की दक्षता देने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। सत्र 2020-21 में शिक्षा से वंचित ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा प्रत्येक जिला में समग्र शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयक की देखरेख में एक सर्वे करवाया जा रहा है। ताकि पहचान किए गए बच्चों को उनकी आयु के अनुरूप कक्षा में प्रवेशापरांत उस कक्षा की दक्षता विकसित करने हेतु 6 माह का गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण दिया जा सके। एचएसएसपीपी द्वारा जनवरी 2020 में एक सर्वेक्षण किया गया था। जिसमें 8945 बच्चों की पहचान की गई। जिनको विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं थी तथा उन्हें विद्यालय में सीधे प्रवेश दिया गया। वहीं 23143 ऐसे बच्चों की पहचान की गई, जिनको प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। लेकिन कोविड-19 के कारण इस पर कार्य नहीं हो पाया। इसी कारण अब दोबारा से ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए सर्वे करवाया जा रहा है। इसको लेकर हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा 17 जिलों में 6 माह की विशेष योजना के लिए 5 करोड़ 18 लाख 88 हजार का बजट जारी किया गया है। बता दें कि नि:शुल्क एंव अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा से वंचित बालक-बालिकाओं को आयु अनुरूप कक्षा की दक्षता प्राप्त करने हेतु विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
20 से अधिक और 30 से कम का बनेगा ग्रुप
शिक्षा से वंचित बच्चों की पहचान के पश्चात उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए कम से कम 20 व अधिकतम 20 बच्चों का एक समूह बनाया जाएगा। जिसमें बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए विभाग द्वारा एक एजूकेशन वोलंटियर की नियुक्ति की जाएगी। जिसे 6 महीने तक 9 हजार रूपए प्रति महीना देय किया जाएगा। इस बच्चों को स्कूल बैग, स्टेशनरी सहित विभाग द्वारा दिया जाएगा।
किस जिले में कितने आऊट ऑफ़ स्कूल बच्चे व कितना बजट जारी
विभाग द्वारा जारी पत्र के मुताबिक प्रदेश में 19 जिले अभी ऐसे हैं, जहां करीब 18,616 बच्चें स्कूलों से दूर हैं। इन्हें स्कूलों में लाने के लिए विभाग द्वारा 736 सेंटर बनाए गए हैं। जिन पर करीब 5 करोड़ 18 लाख 88 हजार से अधिक की बजट राशि खर्च की जाएगी। बात अगर प्रदेश में सबसे अधिक स्कूल से दूर रहे बच्चों के जिले की करें तो उसमें मेवात का नाम सबसे ऊपर है। जहां करीब 5167 बच्चे अभी भी स्कूल से दूर हैं। इसके अलावा गुरुग्राम में 4000, पलवल 1540, फरीदाबाद में 1300, पंचकुला में 1280, यमुनानगर में 1250, अंबाला में 1115, सोनीपत में 800, सरसा में 533, करनाल में 375, पानीपत में 368, रेवाड़ी, फतेहाबाद व भिवानी में 200-200, जींद में 155, चरखीदादरी में 50, हिसार में 42, कुरुक्षेत्र में 29 व कैथल में 12 बच्चे स्कूलों से बाहर है। वहीं झज्जर, महेन्द्रगढ़, रोहतक में कोई बच्चा स्कूलों से दूर नहीं है।
‘‘हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा प्रदेश में स्कूल से दूर हुए बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए एक सर्वे करवाया जाएगा तथा सर्वे के पश्चात पहचान किए गए बच्चों को गैर आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। विभाग का पत्र मिला है। जिसे खंड शिक्षा अधिकारियों को भेज दिया गया है।
गोपाल कृष्ण शुक्ला, सहायक परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा अभियान सरसा।
पहले सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ड्राप आउट छात्र
मेवात 5167
गुरुग्राम 4000
पलवल 1540
फरीदाबाद 1300
पंचकुला 1280
यमुनानगर 1250
अंबाला 1115
सोनीपत 800
सिरसा 533
करनाल 375
पानीपत 368
रेवाड़ी 202
फतेहाबाद 200
भिवानी 200
जींद 155
चरखी दादरी 50
हिसार 42
कुरुक्षेत्र 29
कैथल 12
(वहीं झज्जर, महेन्द्रगढ़, रोहतक में कोई बच्चा स्कूलों से दूर नहीं है)
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