नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की खपत बढ़ने का फायदा सिर्फ स्टील उद्योग को नहीं होगा बल्कि इससे रोजगार के नये अवसर बढ़ेंगे, आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और राजस्व भी बढ़ेगा। प्रधान ने मंगलवार को आयोजित एक वेबिनार में गांवों के विकास और उनकी संपन्नता में भारतीय स्टील क्षेत्र की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष का फंड बैंकों के माध्यम से खर्च होना शुरू हो गया है।
इसी वित्तीय वर्ष से यह खर्च शुरू हो गया है। कई क्षेत्रों को प्राथमिकता क्षेत्र में लाया गया है। केंद्रीय इस्पात मंत्री ने कहा कि अधिकतर क्षेत्र आपस में जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्टील की मांग को प्रोत्साहित करने अत्यधिक अवसर हैं। हाल में घोषित कृषि अवसंरचना कोष, 5,000 से अधिक कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट की स्थापना और अन्य कई सरकारी पहलों के तहत शुरू की गयी परियोजनाओं में इस्पात का इस्तेमाल अधिक है। आने वाले चार-पांच साल में 1,500 करोड़ मीट्रिक टन सीबीजी बनानी की योजना है। लाखों करोड़ रुपये का वित्तीय निवेश इस मद में होना है। विश्व बैंक ने हाल में सीबीजी को प्राथमिका क्षेत्र की श्रेणी में शामिल किया है। सरकार ने चावल से इथोनॉल बनाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए कई सारे संयंत्र बनें और इन सभी में इस्पात की खपत होगी।
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