ऑल इंडिया सिटिजन्स एलायन्स फॉर प्रोग्रेस एण्ड डेवलपमेंट इनोवेशन संस्था का सराहनीय प्रयास
सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। पहले झुग्गी-झोपड़ियों में चलने वाला स्कूल अब एक 52 सीटर बस में चलेगा। इस इनोवेटिव प्रोजेक्ट को नाम दिया गया है स्कूल आपके द्वार। यह मोबाइल स्कूल अब सीधे कंस्ट्रक्शन साइट्स पर पहुंचेगा और वहां आस-पास रहने वाले मजदूरों के बच्चों को उनके द्वार पर ही शिक्षा मुहैया कराएगा।ऑल इंडिया सिटिजन्स एलायन्स फॉर प्रोग्रेस एण्ड डेवलपमेंट (एआईसीएपीडी) इनोवेशन संस्था की ओर से यह मोबाइल स्कूल चलाया जा रहा है। यह स्कूल भारत सरकार के उपक्रम आरईसी फाउण्डेशन ने अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत दी सहायता से मजदूरों के शिक्षा से वंचित बच्चों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास है। पिछले एक दशक से यह इनोवेशन स्कूल झुग्गी-झोंपड़ियों में चलाया जा रहा है।
इस इनोवेटिव स्कूल-स्कूल आपके द्वार का शुभारम्भ आरईसी लिमिटेड के सीएमडी एस.के. गुप्ता ने किया। इस अवसर पर आरईसी लिमिटेड के निदेशक (वित्त) अजय चौधरी, आईआरईसी फाउंडेशन के सीईओ डॉ. एस.एन. श्रीनिवास राव, मुख्य महाप्रबंधक आर.एल. मीना सहित सीएसआर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। एस.के. गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि वह पूरे देश में जरूरतमंदों को आरईसी के निगमित सामाजिक दायित्व यानी सीएसआर के तहत मदद पहुंचा रहे हैं।
आधुनिक सेवाओं से लैस है स्कूल
कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के लिए बहुत ही अच्छा साबित होगा। स्कूल आपके द्वार प्रोजेक्ट से यह भी अपने बच्चे शिक्षित कर सकेंगे। सीईओ डॉ. एस.एन. श्रीनिवास ने बताया आरईसी लिमिटेड ने अपने सीएसआर योजना के तहत बस को खासतौर पर एक स्कूल की शक्ल में डिजाइन किया गया है। जिसमें स्कूल की सारी जरूरतें ब्लैक बोर्ड, डेस्क, कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर, पंखे, कूलर, लाइब्रेरी सहित तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। इस स्कूल में लगे सभी उपकरण सोलर पावर से संचालित हैं। गुरुग्राम में इस प्रोजेक्ट के तहत छह साइट्स पर 500 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है और आगे भी जारी रहेगी।
वंचित बच्चों को मिलेगा वरदान
एआईसीएपीडी एवं इनोवेशन मोबाइल स्कूल के संस्थापक संदीप राजपूत के मुताबिक शिक्षा का अधिकार कानून 2009 लागू होने के वाबजूद भी भारत में आज भी कई मिलियन 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे 8वीं कक्षा तक की शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाते हैं। जिसमें स्कूल बीच में ही छोड़ने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है। खासकर अप्रवासी मजदूरों के बच्चे बेसिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। क्योंकि उनके माता-पिता एक साइट से दूसरी साइट पर एक की शहर में काम की तलाश में कई वर्ष घूमते रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में अपने परिवारों पर आश्रित लगभग छह मिलियन अप्रवासी मजदूरों के बच्चे हर साल अपने माँ-बाप के साथ एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहते हैं। कई मिलियन बच्चों पर इसका परोक्ष रूप में असर पड़ता है। ऐसे में यह इनोवेशन मोबाइल स्कूल इन शिक्षा वंचित बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर उनको समाज के मुख्यधारा में लाने का बड़ा प्रयास है।
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