चीन का खतरा और भारतीय रणनीति

Indian Strategy

भारत-चीन सीमा पर बढ़े तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का दावा बड़ा चौंकाने वाला है। पोम्पियो ने स्पष्ट कहा है कि लद्दाख लाईन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन ने भारत के खिलाफ 60 हजार सैनिक तैनात कर दिए हैं। भले ही इस बयानबाजी के पीछे अमेरिका की भी कोई रणनीति हो सकती है फिर भी इस बयान को नजरअन्दाज करना भारत के लिए आसान नहीं है। यह बयान चीन की दोगली नीति की तरफ संकेत करता है जो एक तरफ बातचीत का हाथ बढ़ा रहा है और दूसरी तरफ युद्ध की तैयारियां कर रहा है। चिंताजनक बात यह भी है कि बातचीत से पहले ही चीन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भारतीय दावों को नहीं मानता, ऐसीं बातें बातचीत को केवल दिखावा व समय बर्बाद करना साबित करती हैं।

भारत सरकार ने सैकड़ों चीनी एप पर प्रतिबंद्ध लगाकर चीन को आर्थिक नुक्सान पहुंचाया है और चीन सरकार इस व्यापारिक घाटे का शोर भी मचा रही है लेकिन यह तथ्य बड़े ही भयानक हैं कि इन व्यापारिक बातों का सीमावर्ती मामलों पर कोई प्रभाव नहीं है और चीन भारत के खिलाफ अपनी तैयारियां कर रहा है। दरअसल भारत के राजनयिकों को यह पता करना चाहिए कि चीन सरकार की बयानबाजी और सीमा पर युद्ध की तैयारियों के आधार अलग-अलग हैं या एक केंद्र से ही सभी गतिविधियां चलाई जा रही हैं। चीन के हमलावर रूख को समझने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए।

दरअसल ताइवान और हांगकांग के मामले में चीन की सख्ती से भारत सहित अमेरिका जैसे देशों को सख्त संदेश दिया जा रहा है। इन परिस्थितियों में चीन की मीठी बातों पर यकीन करका कूटनीतक तौर पर कमजोर होना है। भले ही भारतीय सेना चीन का मुंह तोड़ जवाब देने की समर्था रखती है लेकिन चीन की ताकत को पूरी तरह आंकना आवश्यक है। चीन की सबसे घटिया हरकत यह है कि बातचीत के साथ-साथ युद्ध की तैयारियां चल रही हैं। भारत को हर मोर्चे पर गंभीर व सतर्क रहने की आवश्यकता है। बीते समय की गलतियों से बचना चाहिए।

 

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