सच कहूँ, देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। केंद्र सरकार द्वारा बनाए किए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ (Farmers) देश भर के 24 किसान संगठनों की कुरुक्षेत्र में बैठक आयोजित हुई। गुरुवार देर सायं तक चली बैठक में अध्यक्षता कर रहे गुरनाम सिंह चढूनी ने ऐलान किया कि कृषि कानूनों के खिलाफ 3 नवंबर को पूरे देश में चक्का जाम किया जाएगा। बैठक में हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के सक्रिय किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारतीय किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह ने बैठक उपरांत मीडिया से बातचीत में कहा कि कुरुक्षेत्र में बैठक बुलाई गई थी जिसमें यह तय किया गया है कि 3 नवंबर को किसान चक्का जाम करेंगे। 3 नवंबर को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक देशभर में हाईवे जाम रखे जाएंगे और आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को पंजाब में बैठक बुलाई गई है जिसमें तय किया जाएगा की 3 नंबर के बाद क्या रणनीति बनानी है।
इन किसान नेताओं ने बैठक में पहुंच बनाई रणनीति
बैठक में भारतीय किसान यूनियन से गुरनाम सिंह चढूनी के अलावा, संत गोपालदास, ग्रामीण किसान मजूदर समिति के संयोजक रणजीत सिंह राजू, किसान यूनियन शामली के राष्ट्रीय अध्यक्ष साबित मलिक, किसान कामगार महासभा के संयोजक विरेंद्र सिंह भारत, हरियाणा किसान संघर्ष समिति फरीदाबाद के अध्यक्ष डीके शर्मा, भारतीय किसान मजूदर यूनियन पलवल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केपी सिंह, किसान अधिकार आंदोलन उत्तरप्रदेश के संयोजक नरेंद्र राणा, कानपुर से सतीश चौरसिया, भारतीय किसान हरियाणा के राष्ट्रीय सलाहकार अजीत सिंह हाबडी, भाकियू अमरोहा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, रमनदीप मान, दिवान सिंह, होशियार सिंह, किसान सैल प्रधान सिरसा गुरदास सिंह, जसबीर सिंह भाटी सिरसा, अशोक दनौदा, मध्यप्रदेश से राजकुमार, भाकियू के युवा प्रधान अमरीक सिंह ढांसा, अखिल भारतीय किसान के राज्य अध्यक्ष गुरभजन सिंह, संदीप गिडे पूणे सहित अन्य बडे किसान नेता शामिल हुए व रणनीति बनाई।
तीनो अध्यादेश गुलामी के वारंट : गुरनाम
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि तीनों अध्यादेश जो लाए गए हैं ये देश की गुलामी के वारंट हैं व खेती के डेथ वारंट हैं। इससे मंडियां 100 प्रतिशत खत्म होंगी, इससे एमएसपी 100 प्रतिशत खत्म होगा और देश में चंद लोगों का जो ढांचा खड़ा होने जा रहा है, वे पूरे देश के आटा, दाल, खाद्य तेल, आलू, प्याज स्टॉक करेंगे। चंद व्यापारी पूरे देश का माल खरीदेंगे और फिर पूरा देश उनसे मोल लेकर खाएगा यानि पूरा देश उनका ग्राहक होगा। छोटे व्यापारी खत्म होंगे, आढ़ती खत्म होंगे, खेती तबाह होगी। चढूनी ने कहा कि लोग कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग की बात करते हैं। गुजरात के किसानों ने कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग से आलू बोया, सारा आलू तो कंपनी को दे दिया लेकिन अगले साल के लिए बीज रख लिया। चार करोड़ का मुकदमा उन पर दर्ज किया गया। यानि पूरी तरह कंपनियों का गुलाम बनाया जा रहा है।
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