यह धरती है अपनी भैया
इस धरती से प्यार करो,
धरती को तो माँ कहते हैं
इससे मत इंकार करो।
एक देश है और एक हम
इसे नहीं तुम भूलो भाई,
यह पूजा के योग्य धरा है
चरणों को तुम छू लो भाई।
माँ तो आखिर माँ होती है
माँ को कैसे लुटोगे तुम,
गोद सभी की ख़ातिर इसकी
इससे कैसे छूटोगे तुम।
नहीं धर्म को आड़ बनाओ
धर्म सभी के एक हैं,
ये तो सदा प्रेम सिखालाते
हर मानव को नेक हैं।
ऐसे धर्मों की बातों पर
अब न कभी तकरार करो,
यह धरती है अपनी भैया
इस धरती से प्यार करो।
-सुखचैन सिंह भंडारी
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