सोवियत यूनियन ने 1957 में पहले मानव निर्मित उपग्रह ‘स्पुतनिक’ प्रक्षेपित किया था। इसे इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक माना गया था और इसके ही बाद अमरीका से इस क्षेत्र में होड़ शुरू हुई और तब अमरीका ने चंद्रमा पर मानव को भेजा था। स्पुतनिक का प्रक्षेपण मानव इतिहास के लिए बहुत बड़ी छलांग थी और इसे सोवियत यूनियन के लिए शीत युद्ध के वक्त प्रचार की एक बड़ी जीत माना गया था। आज से 63 साल पहले सन् 1957 में आज के ही दिन इंसान ने अंतरिक्ष में पहली छलांग लगाई थी। सोवियत संघ ने मानव इतिहास का पहला उपग्रह स्पुतनिक सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाया था।
स्पुतनिक इंसानों की बनाई पहली चीज थी जो पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर भेजी गई थी। स्पुतनिक का वजन 83.5 किलोग्राम था। पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान स्पुतनिक की गति 29,000 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। इंसान द्वारा बनाया गया पहला उपग्रह 96 मिनट में धरती का एक चक्कर पूरा कर रहा था। धातु की गेंद की तरह बनाए स्पुतनिक में चार एंटीने थे। प्रक्षेपण के वक्त वैज्ञानिकों को उम्मीद नहीं थी कि स्पुतनिक अंतरिक्ष से रेडियो सिग्नल भेजेगा। वैज्ञानिकों को लगा कि धरती के वायुमंडल से बाहर निकलते वक्त घर्षण की वजह से धातु का खोल गल जाएगा।
हालांकि ऐसा हुआ भी, लेकिन इसके बावजूद स्पुतनिक वहां से रेडियो सिग्नल भेजने में कामयाब रहा। स्पुतनिक ऐसा पहला उपग्रह था जो अंतरिक्ष से मात्र 22 दिन ही सिग्नल भेज पाया। बैटरी खत्म होने की वजह से 26 अक्टूबर 1957 को स्पुतनिक खामोश हो गया। आम तौर पर सैटेलाइटों की औसत उम्र पांच से 20 साल के बीच होती है। भारत ने अपना पहला सैटेलाइट अप्रैल 1971 में छोड़ा था, इसका नाम आर्यभट्ट था। अमेरिका के करीबन एक हजार, जापान के 100 से ज्यादा, चीन के करीब 80, फ्रांस के 40 और भारत 30 से ज्यादा सैटेलाइट धरती की परिक्रमा कर रहे हैं।
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