हाथरस। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति का हवाला देकर अपनी राजनीतिक जड़ें सींचने में जुटी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शनिवार रात हैवानियत की भेंट चढ़ी पीड़िता के परिजनों से मिले और उन्हे न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका वाड्रा के अलावा रणदीप सुरजेवाला, गुलाम नबी आजाद और केसी वेणुगोपाल कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चंदपा क्षेत्र में पीड़िता के गांव पहुंचे। कार से उतर कर सभी नेता कुछ दूर पैदल चल कर पीडिता के दरवाजे पहुंचे। नेताओं से मुलाकात के लिये बरामदे में व्यवस्था की गयी थी लेकिन भीड ज्यादा होने के कारण परिजन उन्हे कमरे में ले गये। राहुल प्रियंका ने बंद कमरे में पीड़िता के परिजनो से मुलाकात की और पीड़िता की मृत्यु पर परिजनो से अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। हालांकि इस दौरान मीडिया को बाहर रखा गया था। समझा जाता है कि उन्होने पीड़िता के पिता माता और भाई बहन को न्याय दिलाने में मदद का भरोसा दिलाया।
इससे पहले एक अक्टूबर को राहुल प्रियंका ने हाथरस जाने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने जिले में निषेधाज्ञा का हवाला देकर उन्हे ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे पर रोक लिया था जिसके बाद दोनो भाई बहन पैदल ही हाथरस के लिये निकल पड़े थे। बाद में पुलिस ने उन्हे हिरासत में लेकर ग्रेटर नोएडा के एक गेस्ट हाउस में रखा था। कांग्रेस ने इसके विरोध में राज्य भर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। श्रीमती वाड्रा और श्री गांधी ने अलग अलग ट्वीट कर पीड़िता के परिजनो से मिलने की मंशा जाहिर की थी। आज उनके हाथरस जाने की संभावना के मद्देनजर पुलिस ने दिल्ली सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी थी जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को उनके घर में नजरबंद कर दिया था।
इससे पहले आज ही सूबे के पुलिस प्रमुख हितेश चंद्र अवस्थी और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने पीड़िता के परिजनो से मुलाकात की और न्याय का भरोसा दिलाया। बाद में पत्रकारों से बातचीत में दोनो अधिकारियों ने कहा कि परिजनो की शिकायत को सरकार ने गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। गौरतलब है कि हाथरस के चंदपा क्षेत्र में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट की घटना हुयी थी। हमले में लड़की की रीढ़ की हड्डी टूट गयी थी। लड़की को पहले स्थानीय अस्पताल फिर अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालत की गंभीरता को भांपते हुये उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गयी।
बवाल की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन ने 30 सितम्बर को तड़के करीब ढाई बजे पीड़िता के शव को एक खेत में अंतिम संस्कार कर दिया। इस बारे में परिजनों के विरोध को दरकिनार कर दिया गया। इस घटना के बाद प्रदेश में राजनीतिक उबाल आ गया और सपा,बसपा और कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने सरकार को घेरा। मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में सरकार से घटना की रिपोर्ट तलब की। इससे पहले सरकार ने मामले की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया जिसकी पहली रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
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