प्रधानमंत्री बोले- विलम्ब से अटल सुरंग की लागत बढ़ी, सैन्य क्षमताओं को रोकने का प्रयास हुआ
मनाली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में मनाली-लेह मार्ग पर निर्मित सामरिक रूप से महत्वपूर्ण और सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल रोहतांग सुरंग शनिवार को राष्ट्र को समर्पित की जिससे मनाली और लेह की बीच की दूरी लगभग 46 किलोमीटर कम होने के साथ ही आवागमन का समय भी 4-5 घंटे कम हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने लगभग दस बजे इस सुरंग का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने उद्घाटन के बाद सुरंग के उत्तरी छोर से निगम की एक बस को हरी झंडी दिखा कर इसमें करीब 15 बुजुर्गों को दक्षिण छोर की ओर भी रवाना किया।
उन्हें इस मौके पर बीआरओर के महानिदेशक हरपाल सिंह ने इन्हें सुरंग की विशेषताओं, निर्माण तकनीक और इसके सामरिक महत्व की भी जानकारी दी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि देश में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजनाओं तथा सैन्य क्षमताओं को लेकर न केवल अगम्भीर रवैया अपनाया गया बल्कि इन्हें रोकने का प्रयास किया गया। जिस गति से सुरंग पर काम चल रहा था उससे यह वर्ष 2040 तक पूरी होती। लेकिन उनकी सरकार ने वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद इस परियोजना को गति दी और अब यह कार्य अब सफल हो पाया है।
3 जून 2000 को पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने शिलान्यास किया था
सुरंग के निर्माण का फैसला तीन जून 2000 को लिया गया तथा वर्ष 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुरंग के लिए सम्पर्क मार्ग का शिलान्यास किया था। वाजपेयी की सरकार जाने के बाद यह परियोजना लगभग हाशिए पर चली गई और वर्ष 2013-14 तक इसके 1300-1400 मीटर हिस्से पर ही काम हुआ। लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के केंद्र में आने पर परियोजना के काम में तेजी आई।
जानें सुरंग की खासियत
- रोहतांग की पीर पंजाल की पहाड़ियों पर लगभग 9.02 किलोमीटर लम्बी घोड़े की नाल के आकार, अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित यह सुरंग मनाली-लेह मार्ग पर लगभग 10040 फुट की उंचाई पर है जिसके निर्माण पर लगभग 3200 करोड़ रुपए की लागत आई है।
- विश्व में किसी राजमार्ग पर सबसे लम्बी इस सुरंग के निर्माण से मनाली और लेह के बीच की दूरी भी लगभग 46 किलोमीटर कम हो जाएगी तथा लगभग आवागमन का चार-पांच घंटे का समय भी बचेगा।
- सुरंग का दक्षिण छोर मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तरी छोर लाहौल घाटी में तेलिंग सिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- इस सुरंग में हर 60 मीटर पर हाईड्रेंट, 150 मीटर पर टेलीफोन की सुविधा, हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे, हर 500 मीटर पर आपात निकास, हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता की जांच और प्रत्एक 2.2 किलोमीटर पर वाहन मोड़ने की व्यवस्था की गई है।
- सुरंग के दोनों छोरों पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं जहां से हर किसी गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा सकती है।
- सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस सुरंग से सेना और सैन्य साजोसामान आसानी से लेह लद्दाख क्षेत्र में चीन से तथा कारगिल में पाकिस्तान से लगती सीमाओं तक पहुंचाए जा सकेंगे।
- सर्दियों के मौसम में बर्फवारी के कारण राज्य का लाहौल स्पीति जिला और लेह घाटी हर वर्ष लगभग छह माह के लिए देश के शेष हिस्सों से कट जाती है लेकिन इस सुरंग के निर्माण से अब वाहनों का आवागमन पूरे वर्ष सुगमता से हो सकेगा।
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देश की सुरक्षा का ख्याल रखना सरकार की प्राथमिकता: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल सुरंग की तरह अन्य परियोजनाओं के साथ भी यही व्यवहार हुआ। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी बनाने में भी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखी। ऐसे सामरिक महत्व के परियोजना को कई सालों तक लम्बित रखा गया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर और अरुणाचल को जोड़ने वाले पुल का काम भी वाजपेयी के समय शुरू हुआ था। इसे भी लम्बित रखा गया। वर्ष 2014 के बाद उनकी सरकार ने इसे गति दीई। बिहार के कोसी पुल के साथ भी ऐसा ही हुआ जिसे उनकी सरकार ने पूरा कर हाल ही में राष्ट्र को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में चाहे हिमाचल में अन्य क्षेत्रों में सड़क और पुल समेत जो भी विकास कार्य हुए हैं या चल रहे हैं उनसे आम लोगों के अलावा हमारे सेना को लाभ हो रहा है। देश की सुरक्षा करने वालों का ख्याल रखना सरकार की प्राथमिकता है।
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