ओपीडी में मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी बढ़ी
फरीदाबाद (सच कहूँ/राजेन्द्र दहिया)। कोरोना वायरस न केवल मरीज के फेफड़ों को हानि पहुंचा रही है बल्कि दिल व दिमाग सहित किडनी पर भी गहरा असर डाल रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक कोविड-19 बीमारी प्रमुख रूप से व्यक्ति के श्वसन तंत्र पर हमला करती है। इसकी वजह से मरीजों को सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हाल ही हुए नए शोधों में सामने आया कि गंभीर रूप से पीड़ित कोरोना मरीजों के शरीर के दूसरे अंगों को भी वायरस ने नुकसान पहुंचाया है। इसकी वजह से सरकारी निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। उल्लेखनीय है कि शहर में करीब 12 बड़े निजी और दो सरकारी अस्पताल हैं। सरकारी स्तर पर ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल एनआईटी तीन नंबर और बीके नागरिक अस्पताल बीके शामिल हैं। इन अस्पताल में रोजाना करीब 10 हजार लोग इलाज के लिए पहुंचते है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि अमेरिका, इटली में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि सार्स सीओवी-2 वायरस हृदय को भी नुकसान पहुंचाता है। कोरोना वायरस ने व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र पर असर काफी असर डाला है। इस कारण कोरोना बीमारी से ग्रसित 60 फीसदी मरीजों को सूंघने और स्वाद पता करने की क्षमता में कमी आई है। अस्पतालों में सांस, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग और किडनी रोगियों की संख्या में 20 से 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल पांडे का कहना है कि कोरोना वायरस से ठीक हुई मरीजों के फेफड़ों में सांस लेने और छोड़ने की क्षमता कम हुई है। सांस से संबंधित अस्पतालन में रोजाना 7 से 10 मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैं। ये फाइब्रोसिस के लक्षण हैं। फेफड़ों में छोटे-छोटे इंफिल्ट्रेशन हो जाते हैं। इस पर शोध की आवश्यकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कोरोना के 30 से 40 फीसदी मरीजों में यूरिन में प्रोटीन बढ़ जाता है। वहीं 8 से 10 फीसदी मामलों में कोरोना के कारण किडनी फेलियर हो जाता है। अधिकांश किडनी रोग कोरोना के बाद ठीक भी हो जाते हैं। जिन मरीजों की किडनी में पहले से परेशानी है, ऐसे मरीजों में क्रेटनिन बढ़ जाता है। किडनी फेलयिर के मरीजों के कोरोना भयावक रूप ले लेता है। किडनी अगर कमजोर हो जाती है तो सबसे पहले मरीज को नेफ्रोलॉजी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दर्द की दवा स्वयं लेने से बचे। तंबाकू और धूम्रपान से बचे।
डॉ. जितेंद्र कुमार
क्यूआरजी हेल्थ सिटी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक
कोरोना से ठीक हुए अनेक मरीज अस्पताल में दिमागी बीमारियों को लेकर पहुंच रहे हैं। ओपीडी में रोजाना पांच से सात मरीज आते हैं। कोरोना वायरस श्वसन तंत्र के साथ दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता हैं। वायरस के प्रभाव के कारण दिमाग की कोशिकाएं मरना शुरू हो जाती हैं। मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इससे मरीज को दौरे पड़ने और ब्रेन स्ट्रोक होने का भी खतरा रहता है। कोरोना से ठीक हुए मरीजों को तनाव से बचना चाहिए। किसी भी तरह की तकलीफ में अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लें।
डा. रोहित गुप्ता
एस्कार्ट्स फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट
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