मजबूरी : ‘अपना तो ये मोटरसाइकिल ही जहां’
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गलियों में मसाले बेचकर गुजर बसर करता है चेनाराम
बहल (सच कहूँ/अजीत सिंघल)। बाइक पर सवार एक या एक से अधिक देखे जाते हैं तो लोग चर्चा करने में जुट जाते हैं। किन्तु इस बाईक पर तो सवारी भी भारी और घर को ढोने की जिम्मेवारी भी तो यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि अपना तो घर संसार है बाइक पर। हालांकि यह हर लिहाज व यातायात नियमों का खुल्म खुला उल्लंघन है और पूरे परिवार की जान की जोखिम भी। ऐसा नजारा बहल से तोशाम मार्ग पर चलता फिरता घर एक नजर आया। बाइक सवार पूरे परिवार को बाइक पर लेकर जाता दिखाई दिया। बाईक सवार चेनाराम ने बताया कि वह राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले हैं और गांवों में फेरी लगाकर मिर्च मसाले बेचते हैं। उन्होंने बताया कि वह कोरोना काल में अपने परिवार के गुजर बसर को निकले थे और यातायात के साधन थे नहीं, सो बाईक को ही सवारी बनाकर चल पड़े थे। चार माह से ज्यादा समय हो गया है, वो यहीं गांवों में घूमकर अपना पेट पाल रहे हैं। अब पहले से बहुत ही कम मसाले बिक रहे हैं। लेकिन घूम फिरकर परिवार का पेट भर ही लेता हूँ। बीबी व दो बच्चे हैं, उनको साथ ही लेकर चलता हूँ। फोरव्हीलर रखने की हैसियत नहीं है, सो मेरी मोटरसाइकिल ही मेरा सारा जहां बना हुआ है। उसने बताया कि उसके पास अब भी 50 किलोग्राम मसाले, घर का पूरा सामान साथ लिए हुए है। चेनाराम ने से पूछा गया कि बच्चों को स्कूल कहां भेजते हो। चेनाराम ने बताया कि अब जब तक कोरोना को लेकर स्कूल बंद हैं, उनको साथ रखेगा और बाद में गांव छोड़कर आ जाएगा। वह महीने भर मसाले व दूसरी सामग्री बेचता है। बाद में वह अपने गांव नागौर चला जाता है। घर के काम निपटाकर फिर से हरियाणा में आ जाएगा। चेनाराम ने कहा कि हम नागौर के लोग पूरे हरियाणा में मसाले, पापड़, मंगोड़ी तथा नागौरी मेथी घूम घूमकर बेचते हैं, जिन्हें लोग खूब खरीदते हैं। चेनाराम ने यह भी बताया कि वे सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में अपने गांव कुछ समय के लिए चले जाएंगे।
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