वजन कम करने के लिए ज्यादातर लोग बिना किसी एक्सपर्ट के सलाह के खुद की सलाह के खुद की सलाद डाइट लेना शुरू कर देते हैं। लेकिन डायट लेना शुरू कर देते हैं। लेकिन डायटीशिंयस का मानना है कि लंबे समय तक इस डाइट का सेवन स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है। इसमें भले ही हरी पत्तेदार सब्जियां और विभिन्न तरह के फल शामिल रहते हैं, लेकिन यह बैलेंस्ड डाइट नहीं होती, जो शरीर के लिए जरूरी है। सलाद डाइट में सभी चीजों का अनुपात सही होना जरूरी है। किसी भी चीज की अत्याधिक या कम मात्रा स्वास्थ्य के लिए नुक्सानदायक होती है।
ज्यादा कार्ब हानिकारक
सलाद डाइट में भले ही तेल, मसाला, स्टार्च आदि नहीं होता, लेकिन इसमें कार्ब की अत्याधिक मात्रा होती है। सिर्फ कार्ब लेना स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होता और इसकी अत्यधिक मात्रा नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा कई बार लोग स्वाद के लिए डेसिंग सलाद का भी सेवन करते हैं जो शुगर, नमक और तेल से बने होते हैं। कई बार गार्निशिंग के लिए चीज का भी इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी चीजों को रोजाना खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है।
दूसरी चीजें भी आवश्यक
सलाद डाइट शुरू करने से पहले यह विचार करना जरूरी है कि कितने समय तक ऐसी डाइट के सहारे रहा जा सकता है। दरअसल सलाद में सभी जरूरी पोषक तत्व नहीं होते हैं। ऐसे में एक समय के बाद हमारे शरीर में कुछ साइड इफैक्टस दिखाई देने लगते हैं। शरीर की मांग के अनुसार कुछ ही समय बाद दूसरी खाने की चीजों को भी शामिल करना आवश्यक हो जाता है। ऐसे में वजन पर फर्क तो पड़ता ही है साथ ही मेटाबॉलिज्म भी प्रभावित होता है।
पाचन पर पड़ता है असर
अत्यधिक मात्रा में सब्जियां और फल पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है। बिना पकी हुई चीजों को पचना थोड़ा मुश्किल होने के साथ ही संक्रमण का कारण भी होता है। फलों में मौजूद फ्रक्टोज से जल्दी भूख का अहसास होता है और हम ज्यादा मात्रा में खाते हैं। साथ ही कुछ फल बहुत ज्यादा एसिडिक भी होते हैं। संतरा, अनानास, नींबू, अंगूर, टमाटर आदि से एसिड इरोजन भी हो सकता है। एसिडिक होने की वजह से यह दांतों के लिए भी नुकसानदायक होता है।
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