करके मेहनत कड़ी किसान,
देता सबको रोटी दान।
गरमी-सरदी से कब डरता,
खेतों की रखवाली करता।
आँधी, वर्षा या तूफ़ान,
निडर जुटा है सीना तान।
मेहनत करना हमें सिखाए,
सच्चाई की राह दिखाए।
रहता उजले-उजले मन का,
सच्चा सेवक यही वतन का।
नरेन्द्र अत्री ‘संतोषी’
विश्वम्बर नगर, जीन्द
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।