कभी मध्यप्रदेश के बीहड़ के जंगल में उसकी बंदूक का ही कानून चलता था। किसी की हिम्मत नहीं थी कि उसके हुक्म को कोई टाल सके। 150 के करीब डाकूओं का सरदार मोहर सिंह पुलिस के लिए खौफ बना हुआ था। आखिर वह जब इस अपराध की दुनिया से बाहर आया तो नेकी का रंग भी उस पर खूब चढ़ा। 21 मार्च 1997 को पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां सत्संग करते हुए मध्यप्रदेश के मेहगांव पधारे तो मोहर सिंह ने पूरा शहर को सत्संग में जाने के लिए कहा। उसके कहने की देर थी कि सारे बाजार बंद हो गए। लोग भी हैरान थे कि आज एकदम ही ऐसा क्या हो गया?
लोगों को पता चला कि मोहर सिंह ने सत्संग सुनने के लिए कहा है। शहर निवासियों ने सत्संग का भरपूर लाभ उठाया। इस सत्संग में 7500 लोगों ने पूज्य गुरू जी से गुरूमंत्र लिया। मोहर सिंह ने भी अपने साथियों के साथ सत्संग सुना। वह पूज्य गुरू जी से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपने बीते जीवन में हुए गुनाहों की माफी भी मांगी। मोहर सिंह ने कहा कि वह बाकी पूरी जिंदगी पूज्य गुरू जी प्रेरणाओं पर चलता हुआ मानवता भलाई के कार्य करता रहेगा। कभी डाकू रहा व्यक्ति अब परमार्थ परहित के मार्ग पर चलने लगा, यह अपने आप में एक चमत्कार ही है, परमात्मा के नाम का जबरदस्त असर होता है। राम का नाम मनुष्य की जिंदगी बदल देता है।
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