देश में कोविड-19 के बढ़ रहे मरीजों के कारण राज्य सरकारें दुविधा में फंसती नजर आ रही हैं। पंजाब व हरियाणा की सरकारों ने एक बार फिर सख्ती बरतते हुए दो दिन के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया है। पंजाब ने रात का कर्फ्यू भी लागू कर दिया है। इसके अलावा पहले दोनों राज्य सरकारों ने कई पाबंदियां हटाई थीं। दरअसल पिछले 15 दिनों में मरीजों की गिनती में इतना ज्यादा बढ़ावा हुआ कि जिसकी उम्मीद खुद सरकारों को नहीं थी। पंजाब में कोरोना से मौतों का आंकड़ा एक हजार को पार कर गया है। इसी तरह हरियाणा में मरीजों की गिनती पंजाब से भी ज्यादा है। दरअसल दोनों राज्य सरकारें आर्थिक गतिविधियों को बरकरार रखने व महामारी से लड़ने का प्रयास कर रही हैं।
बाजार में रौणक बढ़ी है लेकिन जनता ने नियमों को गंभीरता से नहीं लिया जिस कारण वे कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। अब कोई भी राज्य आर्थिकता का पहिया नहीं रोकना चाहता। सरकारों का पूरा ध्यान मास्क पर लगा हुआ है, धड़ाधड़ चालान काटे जा रहे हैं। सख्ती आवश्यक है, लेकिन जितनी कठोरता से नियम लागू किए जा रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया। यह आवश्यक है कि सरकार लोगों को रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करने के लिए अच्छी खुराक का प्रचार करे। सरकारों के अभियान में खुराक का प्रचार नाममात्र है। भर्ती हुए मरीजों को तो पूरा डाइट चार्ट समझाया जाता है किंतु जनता को अभी तक स्वस्थ रहने के लिए जागरूक नहीं किया जा रहा।
भारतीय संस्कृति अपनी देसी खुराक के लिए प्रसिद्ध रही है जिससे मनुष्य स्वस्थ रहता था लेकिन नई जीवनशैली में पुरानी खुराक को पिछड़ा समझा जाता है। जैसे-जैसे लोग पारंपरिक खुराक से दूर होते गए वैसे-वैसे बीमारियों का प्रसार बढ़ता जा रहा है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि यदि कोरोना महामारी में हमारे देश में मृत्यु दर अमेरिका जैसे देश से कम है तब इसका श्रेय पारंपरिक खुराक के बचे हुए प्रभाव को जाता है। जिस प्रकार कोरोना महामारी फैल रही है तब लोगों का आर्थिक गतिविधियों के लिए बाहर निकलना मजबूरी है, उसके मद्देनजर सख्ती के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक खुराक का प्रचार भी करना चाहिए।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।