चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने आज आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार का ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा‘ पोर्टल का वास्तविक उद्देश्य किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से दूर रखना है। भाकियू मीडिया प्रभारी राकेश कुमार बैंस ने आज यहां जारी बयान में कहा कि सूचना अधिकार के तहत उन्होंने पोर्टल के संदर्भ में दो आवेदन देकर 17 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी और मिली जानकारी से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। उन्होंने बताया कि आरटीआई खुलासे में पता चला है कि पोर्टल को किसी कानून की किसी धारा के तहत बनाया या लागू नहीं किया गया अर्थात पोर्टल गैरकानूनी है। बैंस ने आरोप लगाया कि पोर्टल बिना किसी समय सारिणी के और मनमर्जी से खोला और बंद किया जाता है।
पोर्टल बिना किसी सांगठनिक ढांचे से चल रहा है। यदि किसी भी कारण से कोई किसान पोर्टल पर फसल का ब्यौरा दर्ज नहीं करवा पाया तो वह फसल सरकारी खरीद में नहीं बेच पायेगा और उसे मजबूरी में फसल औनेपौने दामों पर निजी हाथों में बेचनी होगी। बैंस के अनुसार पोर्टल बंद होने के बाद किसान मंडी बोर्ड को किसी और तरीके से अपनी फसल की जानकारी नहीं भेज सकता। मंडी में पोर्टल से संबंधित शिकायत सुनने वाला या ठीक करने वाला कोई अधिकारी नहीं। पोर्टल पर फसल का ब्यौरा दर्ज करने की जिम्मेदारी किसान की है। भाकियू प्रवक्ता के अनुसर किसान को पोर्टल पर दर्ज विवरण का कोई भी दस्तावेज किसान को बोर्ड की तरफ से जारी नहीं किया जाता। पोर्टल दिसंबर 2018 में लांच किया गया था और इसे 12 फसलों, 17 सब्जियों व तीन फलों के लिए लागू किया गया है।
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