74 लाख नगद व लाखों की नशीली दवाईयां बरामद
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नशीली व कोरोना की कथित दवा की करते थे सप्लाई
गुरुग्राम। सीएम फ्लाइंग, स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल विभाग की संयुक्त छापेमारी में मंगलवार को यहां अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स रैकेट का खुलासा हुआ। इस गिरोह में पुलिस ने चार इराकी नागरिकों के साथ एक उज्बेकिस्तान की महिला को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से लाखों की रुपए की नशीली दवाओं के साथ 74 लाख रुपए नकदी भी बरामद की है। पुलिस प्रवक्ता के अनुसार आरोपियों से कई Gखुलासे हुए हैं। पूछताछ जारी है। जानकारी के अनुसार मंगलवार को सीएम फ्लाइंग, स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि शहर में विदेशी नागरिक नशे का बड़े पैमाने पर कारोबार कर रहे हैं। उनके गिरोह में एक महिला भी शामिल है। ये सभी विदेशी नागरिक प्रतिबंधित दवाओं का अवैध रूप से कारोबार कर रहे हैं। पुख्ता सबूत मिलने के बाद टीम ने बताए गए दो अलग-अलग ठिकानों सेक्टर-47 व सेक्टर-57 में छापेमारी की। सेक्टर-47 से इराकी नागरिक मोहनाद, ओथमाना आइद के साथ उज्बेकिस्तान की नीलूफार को गिरफ्तार किया गया। वहीं सेक्टर-57 से अकरम फैज और असराद अलहैंदी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि वे प्रतिबंधित दवाओं का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैकेट चलाते हैं। जांच-पड़ताल के बाद उनके पास से करीब 74 लाख रुपए की नकदी व भारी मात्रा में प्रतिबंधित दवाइयां बरामद की। ड्रग नियंत्रक डॉ. अमनदीप चौहान के मुताबिक जांच की जा रही है कि आखिर ये दवाइयां किस उद्देश्य से इस गिरोह ने खरीदी थी और कहां-कहां पर सप्लाई की जा रही थी।
इराक में सप्लाई करते थे प्रतिबंधित दवाइयां
पाँचों आरोपी इराक में वे दवाएं सप्लाई करते थे, जो कि भारत में प्रतिबंधित हैं। सिर्फ वे नशीली दवाएं ही नहीं, बल्कि इन्होंने कोरोना की दवा भी सप्लाई करनी शुरू कर रखी थी, जिसका अभी ट्रायल चल रहा है। पुलिस प्रवक्ता सुभाष बोकन के अनुसार कोरोना की यहां पर 5200 रुपए में दवा वे खरीदते थे और इराक में एक लाख में बेचते थे। अब उनके पास यह दवा कहां से आती थी, यह बड़ा सवाल है। इसकी भी जांच की जा रही है। सेक्टर-47 से इराकी के घर के बाद फार्च्युनर गाड़ी में कैंसर की नशीली दवाई और कोरोना की वह दवाई बरामद हुई, जिसका अभी ट्रायल चल रहा है।
मरीजों के माध्यम से करते थे सप्लाई
इराक में दवाओं को भेजने के लिए ये इराक से गुरुग्राम में उपचार कराने आने वाले मरीजों का सहारा लेते थे। उनसे संपर्क करके उन्हें प्रलोभन देकर वे उन्हें ये दवाएं सौंप देते थे। जिन्हें यहां से इराक जाने वाले मरीज संबंधित व्यक्तियों को इराक में रिसीव करा देते थे।
किसी के पास नहीं है वीजा, पासपोर्ट
हैरानी की बात तो ये है कि पांचों आरोपियों में से किसी के पास भी कोई पासपोर्ट या वीजा नहीं है। चारों इराकी तो यहां के निजी अस्पताल में ट्रांसलेटर का काम करते हैं। यानी इराक से उपचार को यहां आने वाले मरीजों की सहायता करते थे। इसी दौरान इन्होंने प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई का काम शुरू कर दिया। सेक्टर-57 से पकड़े गए इराकी तो यहां स्टूडेंट वीजा पर आए थे, लेकिन वापस नहीं गए।
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