हरियाणा: गुरुग्राम के अस्पतालों को लेकर आरटीआई में हुआ बड़ा खुलासा
(RTI big reveal)
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सबसे अधिक 13419 मौतें मेदांता दा मेडिसिटी में
संजय मेहरा/सच कहूँ गुरुग्राम। एक तरफ तो मिलेनियम सिटी गुरुग्राम के प्राइवेट अस्पताल देसी (RTI big reveal) और विदेशी मरीजों के बहुत ही जटिल बीमारियों का उपचार करके वाहवाही लूटते हैं, वहीं दूसरी ओर यहां के अस्पताल में मरने वाले लोगों की संख्या का जो आंकड़ा उजागर हुआ है, वह इनकी चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल भी खड़े करता है। यहां के 7 प्राइवेट अस्पतालों में 30762 लोगों की मौत होने का जो आंकड़ा आरटीआई से मिला है, उसने लोगों को परेशानी में डाल दिया है। यह आंकड़ा यहां के प्राइवेट अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।आपको बता दें कि जिला के गांव धुमसपुर निवासी मोहित खटाना एडवोकेट ने प्राइवेट अस्पतालों में मौत पर नगर निगम गुरुग्राम में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी थी। नगर निगम गुरुग्राम के जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार की ओर से इस जानकारी में ये तथ्य बताए गए।
2011 से 2016 के बीच 20037 मौतें
………. सूचना में बताया गया है कि वर्ष 2011 से 2016 के अंतराल में ………..
- मेदांता दा मेडिसिटी अस्पताल में 9249 लोगों की मौत हुई।
- वहीं आर्टेमिस अस्पताल में 4049
- पारस अस्पताल में 2464,
- पार्क अस्पताल में 2108, फोर्टिस अस्पताल में 1386,
- मैक्स अस्पताल में 781 मरीजों की मौत हो चुकी है।
- इस तरह से इन छह वर्षों में इन पांच अस्पतालों में 20037 लोगों की मौत हुई।
2017 से 2019 के बीच 10725 मौतें
वहीं वर्ष 2017 से 2019 के बीच मेदांता दा मेडिसिटी में 4170 मरीजों की मौत हुई, तो आर्टेमिस में 2031, पार्क अस्पताल में 1793, पारस में 1137, फोर्टिस में 946, मैक्स में 458, प्रतीक्षा अस्पताल में 190 लोगों की मौत हो चुकी है। कुल मिलाकर 2017 से 2019 के बीच 10725 लोगों की मौत इन अस्पतालों में हुई। मतलब 9 साल में इन अस्पतालों में 30762 लोगों की मौत हो चुकी है।
कमाई का लक्ष्य देकर लोगों के जीवन से खिलवाड़
आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि गुरुग्राम के बड़े अस्पतालों में डॉक्टर्स को कमाई के लिए लक्ष्य यानी टारगेट दिया जाता है। उन्हें जितनी मोटी तनख्वाह दी जाती है, उसी हिसाब से कमाई करने को भी कहा जाता है। ऐसे में गुणवत्तापरक उपचार एक चुनौती बन जाता है। क्योंकि डॉक्टर को उपचार से ज्यादा मरीजों को भर्ती करके कमाई पर फोकस करना पड़ता है। पूर्व में भी बहुत बार इस तरह की शिकायतें मिली हैं।
- ऐसी स्थिति में मरीजों का जीवन बचना बहुत ही कठिन हो गया है।
- कई बार देखने में आया कि मरीज घर से तो सही स्थिति में अस्पताल पहुंचा।
- लेकिन उपचार कराते-कराते उसकी तबियत और अधिक खराब हुई।
- आखिर में उसकी जान तक चली गई।
- ऐसे में इन अस्पतालों पर शिकंजा कसने की मांग उठ चुकी है।
बिना पैसे जमा कराये उपचार नहीं करने के आरोप
प्राइवेट अस्पताल में बहुत बार लोग इमरजेंसी में अपने मरीज को लेकर पहुंचते हैं। आरोप हैं कि वहां सामान्य से चेकअप के बाद पैसे जमा कराने को कह दिया जाता है। जब मरीजों के तिमारदारों के पास पैसे नहीं होते तो चिकित्सक उपचार शुरू नहीं करते। ऐसे में समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण भी मौत हो जाती है। अक्सर मरीजों की मौत पर होने पर यहां के प्राइवेट अस्पतालों में खूब हंगामे भी होते हैं।
पीएम मोदी, स्वास्थ्य मंत्री विज को शिकायत
आरटीआई कार्यकर्ता मोहित खटाना एडवोकेट की ओर से मरीजों की मौत के इन आंकड़ों की प्रति अटैच करके एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज को भेजा गया है। उसमें उन्होंने गुरुग्राम के प्राइवेट अस्पतालों की सीबीआई, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और विजिलेंस से जांच की मांग की है। जांच के लिए उन्होंने निष्पक्ष टीम गठित करने की मांग की है। क्योंंकि यहां मौतों का यह आंकड़ा बताता है कि ये अस्पताल तो मौत के सौदागर सिद्ध हो रहे हैं।
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