दार्जिलिंग: पश्चिम बंगाल से अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर बीते एक महीने से दार्जिलिंग में बंद और हिंसा जारी है। जिसके चलते यहां करीब 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। रात के वक्त गैंग खाने-पीने की दुकानें लूट रहे हैं।
हालिया हिंसा के बाद ममता सरकार ने सेना को दोबारा तैनात किया। इस हिंसा में अब तक सात युवकों की मौत हो गई है। जून-जुलाई में दार्जिलिंग की सड़कें और होटल टूरिस्ट्स से भरे रहते हैं। यहां की खूबसूरती को हर कोई अपने कैमरे में ताउम्र संभालकर रखना चाहता है। लेकिन यह नजारा गुम हो गया है।
यहां बाजार बंद हैं। सड़कें सूनी हैं और होटलों में भी ताले जड़े हुए हैं। बिल्कुल कर्फ्यू जैसा माहौल है। यह कहते हुए दार्जिलिंग की गलियों में हैंडीक्राफ्ट बेचने वाले बिपिन सुबक पड़ते हैं।
100 साल से भी पुरानी है गोरखालैंड की मांग
यहां के लोगों का कहना है कि अलग गोरखालैंड की उनकी मांग सौ साल से भी पुरानी है। मगर इस बार 8 जून को आए ममता सरकार के एक आदेश ने हालात बिगाड़ दिए। सरकार ने 10वीं क्लास तक बांग्ला भाषा की पढ़ाई को जरूरी करने का आदेश दिया,जबकि यहां के लोगों की मूल भाषा नेपाली है। हालांकि बाद में नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा गया कि यह आदेश वॉलेंटरी है।
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