अबोहर(सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा)। अबोहर को बागों के कारण कैलीफोर्नियां के नाम से जाना जाता है व इसके किन्नू विदेशों में निर्यात भी होते रहे है। लेकिन इस बार मार्च-अप्रैल महीने में पड़ी गर्मी के कारण 80 फीसदी फसल नष्ट हो चुकी है जबकि 20 फीसदी फसल होने का अनुमान ही बागवान लगा रहे हैं। बागवानों ने खराब हुई फसल का मुआवजा देने की सरकार से गुहार लगाई है लेकिन अभी तक बागवानों को कोई मुआवजा नहीं मिल पाया है। जिले में करीब 34 हजार हेक्टेयर रकबे का बागों के अधीन है। बागवानों का कहना है कि प्रति एकड़ करीब दो लाख की फसल प्रति एकड़ होनी थी यानि उनका करीब एक लाख 40 हजार रुपये प्रति एकड़ का नुकसान हो चुका है। बागवानों का कहना है कि यहीं कारण किसान कुदरती आपदाओं के कारण कर्ज लेने को मजबूर हो जाता है। बागवानों ने कहा कि बागों पर ऐसी आपदा पहली बार ही पड़ी है।
गांव कुलार के बागवान धर्मपाल, गांव खाटवा के बागवान काशी राम जांदू, गांव अमरपुरा के बागवान ओम प्रकाश कांटीवाल व भागसर के राकेश डूडी ने बताया कि मार्च-अप्रैल महीने में बागों पर फूल व किन्नू लग चुके थे व इस बार कंपर फसल थी लेकिन इस दौरान पड़ी भीषण गर्मी के कारण के इन सभी की ड्रापिंग हो गई, जिससे 80 फीसदी फसल नष्ट हो गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद नहरबंदी ने रही सही कसर पूरी कर दी व कई बार उन्हें नहरबंदी का सामना करना पड़ा व इस कारण नरमे की बिजाई न केवल प्रभावित हुई बल्कि नरमे की बिजाई कम हो पाई। उन्होंने कहा कि गर्मी व पानी की कमी के कारण कई बागों के पौधे तक सूख गए जिस कारण बागवान उनको उखाड़ने पर मजबूर हो गए व कई बागवानों ने बाग उखाड़ दिए। उन्होंने बताया कि 20 फीसदी फसल ही बची है व उस पर उम्मीद है। पिछले दिनों हुई हल्की बरसात से कुछ जीवनदान बागों को मिला है व अब अगर बरसात हो जाए तो बागों को काफी फायदा होगा। फसल कम होने की वजह से भाव अच्छा होगा लेकिन आम आदमी की पहुंच से दूर होगा। उन्होंने कहा कि बागवान इस उम्मीद पर है कि सरकार उनकी भरपाई करेगी व उन्होंने सरकार से नुकसान का जल्द मुआवजा देने की गुहार लगाई है ताकि बागवानों को कुछ राहत मिले।
राजस्थान सरहदी गाँव शेरगढ़ निवासी प्रगतिशील किन्नू उत्पादक विकास भादू ने बताया कि पिछले तीन सीजन से किन्नू घाटे का सौदा बना हुआ है क्योंकि 2019-20 के अंदर लॉकडाउन से बहुत नुकसान हुआ और किन्नू रूल गया। 2020-21 के अंदर भी भाव बिल्कुल कम थे। 2021-22 में उपज नाममात्र होने से किसान के हाथ खाली रहे। अब इस बार सीजन के शुरुआत में ही प्राकृतिक आपदा तेज गर्मी से लगभग फूलों पे ही फसल तबाह हो गई। उन्होंने कहा कि बागवानों की मांग के बावजूद सरकार ने अभी तक नुकसान की गिरदावरी तक नहीं करवाई। उन्होंने सरकार से मांग की कि बागवानों को जल्द मुआवजा जारी किया जाए ताकि वह फिर से बागों को जीवित रख सके।
बता दें कि बागों को हुए नुकसान का जायजा लेने को समाजसेवी बलवीर सिंह सींचेवाल ने भी दौरा किया था व कहा था कि वह इस बाबत सरकार को रिपोर्ट देंगे। उन्होंने कहा कि इस बार फसल कम रहने से किन्नू का भाव काफी अच्छा मिलने की उम्मीद है लेकिन बागवान को हुए नुकसान की भरपाई तभी होगी जब सरकार मदद करेगी। उन्होंने बताया कि उनके बाग का ठेका 38 रुपये 20 प्रति किलो के हिसाब से हुआ है लेकिन इसमें ठेकेदार केवल ए ग्रेड का माल ही छांट कर लेगा। उन्होंने कहा कि वैसे इस बार भाव अच्छा मिलने की उम्मीद है। वैसे अगर सरकार किसानों को पानी की कमी न आने दे तो किसान कर्जमुक्त होते हुए अच्छी फसल की पैदावार कर देश विदेशों में भी किन्नू की डिमांड को भरपूर मात्रा में पूरा कर सकते है।
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