ISRO: डॉ. संदीप सिंहमार। चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग का डंका आठ महीने बाद भी पूरे विश्व में बज रहा है। टेक्नोलॉजी में माहिर जापान अमेरिका रूस भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों की सोच को सलाम करते आए हैं। यही एक वजह है कि 8 महीने बाद भारत की चंद्रयान-3 मिशन टीम को अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रतिष्ठित 2024 जॉन एल जैक स्विगरट जुनियर पुरस्कार से नवाजा गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलोरोडो में वार्षिक अंतरिक्ष कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से ह्यूस्टन में भारत के महावाणिज्य दूत डीसी मंजूनाथ ने यह पुरस्कार प्राप्त किया। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिकों को मिले इस अवॉर्ड से इसरो का कद पूरे विश्व में एक बार फिर बढ़ा है। स्पेस फाउंडेशन में एक विशेष प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाले पहले देश के रूप में भारत इसरो द्वारा विकसित मिशन चंद्रयान-3 मानवता की अंतरिक्ष अन्वेषण आकांक्षाओं को समझ और सहयोग के लिए नए क्षेत्रों तक विस्तारित करता है।
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हीदर पिंगल ने जनवरी में की थी अवॉर्ड की घोषणा | ISRO
स्पेस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हीदर पिंगल ने जनवरी में इस पुरस्कार की घोषणा की थी। तब उन्होंने अपनी घोषणा के समय कहा था कि अंतरिक्ष में भारत का नेतृत्व दुनिया के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा संपूर्ण चंद्रयान 3 टीम के अग्रणी कार्य ने अंतरिक्ष खोज के स्तर को फिर से बढ़ा दिया है उनकी उल्लेखनीय चंद्र लैंडिंग हम सभी के लिए एक मॉडल है। उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि हम यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते कि आप आगे क्या करते हैं ? ज्ञात रहे कि पिछले वर्ष अगस्त में भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने मिशन चंद्रयान-3 के तहत चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा था। दुनिया में पहली बार हुआ था इससे पहले साउथ पोल पर कोई भी देश सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था।