न्येपीडॉ l संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से कम से कम 707 नागरिकों की हत्या कर दी गई है जबकि सही संख्या इससे काफी अधिक हो सकती है। डुजारिक ने प्रेस वार्ता में कहा,“संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि दो माह पूर्व से जब से सेना ने सरकार का नियंत्रण अपने कब्जे में लिया तब से आज तक विश्वसनीय रिपोर्ट में कम से कम 707 लोगों के मारे जाने की बात कही गयी है। यह माना जाता है कि यह संख्या काफी अधिक हो सकती है।” उन्होंने कहा कि इसके अलावा हजारों अन्य लोग घायल भी हुए हैं जिनमें कई की हालत गंभीर है।
प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने म्यांमार के घटनाक्रम के बारे में अपनी गहरी चिंता दोहराई और सुरक्षा बलों द्वारा हत्याओं की सबसे हालिया रिपोर्टों को ‘भयावह’ पाया है। डुजारिक ने कहा,“महासचिव सभी सदस्य देशों को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि विभिन्न पक्षों पर इस गहराती समस्या को रोकने की आवश्यकता पर प्रभाव डाला जा सके और ऐसे कदम उठाए जा सकें जो नागरिक शासन की वापसी की सुविधा प्रदान कर सकें।”
तख्तापलट के पीछे सेना का मकसद क्या है?
म्यांमार में बीते साल नवंबर में आम चुनाव हुए थे. इस चुनाव में सू की की पार्टी को विजय हासिल हुई थी। सेना ने आरोप लगाए थे कि इस चुनाव में बड़े स्तर पर धांधली हुई है। साथ ही चुनाव आयोग से सार्वजनिक तौर पर अंतिम डेटा सार्वजनिक करने को कहा था। हालांकि, आयोग ने इन सभी दावों को खारिज किया था। विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह से सत्ता हासिल करने की वजह चुनाव में अनियमितता नहीं थी, बल्कि देश को नियंत्रित करने की थी।
म्यांमार में क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?
प्रदर्शनकारी सेना के स्थान पर जनता के हाथ में नियंत्रण देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही वे सू की और अन्य नेताओं की रिहाई चाहते हैं। अपनी जमीन की स्वायत्ता के लिए लंबा संघर्ष करने वाले देश के कई अल्पसंख्यक समुदाय 2008 में सेना के लिखे संविधान को हटाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि लोकतंत्र स्थापित हो। इन प्रदर्शनों में युवा बड़े स्तर पर भाग ले रहे हैं। हालांकि, हड़ताल के चलते कई आम सेवाएं खासी प्रभावित हुईं हैं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।