कीव/मॉस्को। आज से 100 दिन पहले 24 फरवरी को नाटो सदस्यता की जिद्द पर अड़े यूक्रेन पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का गुस्सा इस कद्र भड़का कि उन्होंने जंग का आगाज कर दिया। उस दिन के बाद से यूक्रेन की तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है। कभी चमक धमक और रोशनी से नहाए दिखने वाले शहरों में आज मौत का सन्नाटा पसरा हुआ है। युद्ध की इस तपिश ने पूर्वी यूरोप के बाहर दुनिया के दूसरे देशों को भी मुश्किल हालात में पहुंचा दिया है।
रूसी हमले के कारण यूक्रेन के 68 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन को विवश होना पड़ा है, जो कि उसकी आबादी का लगभग 15 प्रतिशत है। सीधा सा मतलब हर 6 में से एक यूक्रेनी को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। यूएनएचआरसी की रिपोर्ट के अनुसार इन 68 लाख लोगों में से लगभग 36 लाख लोग पोलैंड पहुंचे हैं। 2021 में जहां यूक्रेन की जनसंख्या 4.3 करोड़ थी, वो अब घटकर 3.7 करोड़ रह गई है।
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