![38th Surajkund Mela 2025 38th Surajkund Mela 2025](https://www.sachkahoon.com/wp-content/uploads/2025/02/Ghiya-Artist-696x392.jpg)
सच कहूँ/सागर दहिया
38th Surajkund International Crafts Mela 2025:सूरजकुंड (फरीदाबाद)। अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर रहे सूरजकुंड शिल्प मेले में देश-विदेश से आए कलाकार अपने अनूठे शिल्प और हस्तकला के प्रदर्शन से सैलानियों का दिल जीत रहे हैं। इस मेले में ओडिशा के रायगढ़ निवासी शिल्पकार हिमांशु शेखर पांड्या अपनी विशिष्ट कला के चलते चर्चा में हैं। उन्होंने सूखी घीया (लौकी) से अनूठे डिजाइनर हैंडिक्राफ्ट आइटम तैयार कर एक नई कला को जन्म दिया है। हिमांशु ने कहा कि इस बार का थीम स्टेट उनका राज्य ओडिशा है, ऐसे में वे बहुत खुश हैं। 38th Surajkund Mela 2025
करीब 20 साल पहले हिमांशु शेखर को इस कला की प्रेरणा तब मिली जब उन्होंने ओडिशा के कुछ आदिवासी समुदायों को सूखी लौकी का उपयोग पानी संरक्षित करते देखा। उन्होंने इस पर शोध किया और धीरे-धीरे इसे हस्तकला के रूप में विकसित कर दिया। आज उनकी बनाई गई ‘घीया कला’ ओडिशा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है।
दो हजार से ज्यादा परिवारों को मिली स्वरोजगार की राह | 38th Surajkund Mela 2025
शिल्पकार हिमांशु की इस अनूठी पहल के कारण ओडिशा के रायगढ़ जिले के 15 गाँवों में किसानों ने लौकी की खेती को अपने मुख्य व्यवसाय के रूप में अपना लिया है। यह किसान लौकी को सुखाकर कलाकारों को बेचते हैं जिससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिला है। वर्तमान में लगभग दो हजार परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।
500 से 80 हजार तक की बेच रहे 50 रुपए वाली लौकी | 38th Surajkund Mela 2025
हिमांशु बताते हैं कि एक साधारण सी दिखने वाली लौकी, जिसे किसान मात्र 50 रुपए में बेचते हैं, वह उनके कारीगरों के हाथों से गुजरकर 500 रुपए से लेकर 80 हजार रुपए तक की कीमत में बिकती है। यह कला न केवल सुंदरता और नवीनता की मिसाल है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। इन हस्तनिर्मित वस्तुओं की खासियत यह है कि ये हल्की (लाइटवेट) होती हैं और पूरी तरह वॉटरप्रूफ होती हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जैसे कि पारंपरिक लैंप, सजावटी सामान, लटकन, वॉल हैंगिंग, आभूषण बॉक्स और अन्य हस्तकला उत्पाद इत्यादि। यह सभी उत्पाद प्राकृतिक रूप से टिकाऊ होते हैं और लंबे समय तक उपयोग किए जा सकते हैं।
सूरजकुंड मेले में आए पर्यटक हिमांशु शेखर पांड्या के स्टॉल पर इस अनूठी कला को देखकर बेहद प्रभावित हो रहे हैं। देश-विदेश से आए खरीददार इस हस्तकला को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं। इस कला की बढ़ती मांग को देखते हुए हिमांशु शेखर ने इसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। 38th Surajkund Mela 2025
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