26 को कलक्टरी घेरेंगे काश्तकार

  • एकबारगी स्थगित किया पड़ाव
  • पड़ाव पर रातभर डटे रहे हजारों किसान

HanumanGarh, Hardeep Singh: भाखड़ा नहर में 1200 क्यूसेक पानी देने की मांग को लेकर किसानों द्वारा बुधवार से कलक्ट्रेट के समक्ष शुरु किया गया बेमियादी पड़ाव वीरवार को दूसरे दिन दोपहर बाद एकबारगी स्थगित हो गया। दोपहर बाद आंदोलनकारियों ने पड़ाव स्थल पर हुई सभा में आंदोलन को एकबारगी स्थगित करने का निर्णय लिया। पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल ने मंच से घोषणा की कि सोमवार, 26 दिसम्बर को पुन: कलक्टरेट का घेराव कर सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप किया जाएगा। किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को न तो कलक्ट्रेट में घुसने दिया जाएगा और न ही बाहर निकलने दिया जाएगा। 1200 क्यूसेक पानी न चलाए जाने तक कलक्टरी अपने कब्जे में करेंगे। उन्होंने पड़ाव स्थल पर मौजूद किसानों से कहा कि वे अपने-अपने गांवों में जाकर पुन: तैयारी करें।
किसानों से सम्पर्क साधकर अधिकाधिक भीड़ 26 दिसम्बर को कलक्टेÑट पर एकत्रित करें ताकि प्रशासन व सरकार को उनके आगे झुकना पड़े। साथ ही यह निर्णय भी हुआ कि कुछ किसान पड़ाव स्थल पर मौजूद रहेंगे। इस घोषणा के बाद कुछ किसान पड़ाव स्थल से चले गए। आंदोलनकारियों के इस निर्णय से पुलिस प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। दो दिनों से पूरे संभाग का पुलिस जाब्ता जिला मुख्यालय पर डेरा जमाए बैठा था। एकबारगी आरएसी व पुलिस जवानों को उनके-उनके गन्तव्य स्थानों पर भेज दिया गया है। इससे पहले दूसरे दिन कलक्ट्रेट में प्रवेश का मुख्य द्वार व मार्ग बंद होने के कारण नागरिकों को अन्य रास्तों से भीतर जाना पड़ा। वीरवार को पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल के अलावा प्रो. ओम जांगू, शबनम गोदारा, रामेश्वर वर्मा, पालाराम, रघुवीर सिंह वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद, जगजीत सिंह, संतोष सहारण, काशीराम जाखड़, ओम बिश्नोई, पंचायत समिति प्रधान प्रतिनिधि राजेन्द्र नायक, बीएस पेन्टर, प्रकाश रोझ आदि ने पड़ाव स्थल पर सभा में संबोधित किया।
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आंदोलनकारियों के साथ ठण्ड में ठिठुरी खाकी
बीती रात सर्द हवाओं के बीच भाखड़ा क्षेत्र के सैकड़ों किसान कलक्ट्रेट के सामने टैंट के नीचे ठिठुरते रहे। आंदोलनकारियों ने तो रजाई आदि की व्यवस्था कर ली। मगर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों की हालत ठंड के कारण खराब हो गई। घंटों ठिठुरने के बाद उनके लिए लकड़ियों की व्यवस्था की गई। जगह-जगह अलाव जलाकर पुलिस कर्मियों ने जैसे-तैसे रात काटी। आंदोलनकारियों ने भी बुधवार रात व वीरवार सुबह का खाना पड़ाव स्थल पर खाया।
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कई बार बनी टकराव की स्थिति
पूरी रात कई बार ऐसे हालात पैदा हुए जब आंदोलनकारियों व पुलिस कर्मियों में टकराव की स्थिति बनी। आंदोलनकारी किसानों ने कलक्ट्रेट के मुख्य द्वार के पास लगाए गए बेरिकेट्स को नीचे गिरा दिया। किसानों के सब्र का बांध कई बार टूटते-टूटते बचा। हालांकि रात होते-होते आधे से ज्यादा काश्तकार अपने-अपने घरों को लौट गए। देर रात तक पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव, एएसपी निर्मला बिश्नोई, डीएसपी अतर सिंह पूनिया के अलावा जिलेभर के थानाधिकारी मय जाब्ता मौके पर डटे रहे।
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आंदोलनकारियों की संख्या हुई आधी
वीरवार को दूसरे दिन बुधवार की अपेक्षा आधे किसान पड़ाव पर मौजूद रहे। ऐसे में किसानों का आंदोलन शुरुआती दौर में ही ढीला पड़ता नजर आने लगा। आंदोलनकारी किसान मार्च तक लगातार 1200 क्यूसेक पानी की मांग कर रहे हैं जबकि सिंचाई विभाग साफ कर चुका है कि मांग अनुसार भाखड़ा इलाके में पानी चलाना संभव नहीं। अगर 1200 क्यूसेक पानी चलाया तो भविष्य में पीने के पानी का संकट पैदा हो जाएगा। गौरतलब है कि बुधवार को डाले गए पड़ाव के दौरान किसान प्रतिनिधियों की प्रशासन से हुई दो दौर की वार्ता विफल रही थी।