प्रस्तुति: विजय शर्मा। Maha Paropkar Diwas: एक नए इतिहास का दिन है आज का 23 सितंबर। आज ही के दिन 23 सितम्बर 1990 को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत को एक महान ‘गुरु’, पीर फकीर के रूहानी स्वरूप के दर्श दीदार हुए। अर्थात डेरा सच्चा सौदा में तीसरे पातशाह के रूप में पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां गद्दीनशीन हुए। पूरी दुनिया के लिए यह ऐतिहासिक दिन है। डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने इस पावन दिन ’एक नए इतिहास की रचना करते हुए पूज्य गुरु जी को एमएसजी के रूप में अपना वारिस घोषित कर सृष्टि पर बड़ा परोपकार किया। 23rd September Special
यही कारण है कि डेरा सच्चा सौदा में 23 सितंबर का दिन महापरोपकार दिवस के रुप में मनाया जाता है। पूजनीय परम पिता जी ने 23 सितंबर को अपने जवां रूप को प्रकट करके पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसके बारे में दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते थे। इस दिन ‘दो जिस्म एक जान’ एक साथ देखने को मिले। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूज्य गुरु जी को अपना ‘मीत’ बनाया और पूरी दुनिया देखती रह गई। उस दिन लाखों खुली आंखों ने यह सुखद दृश्य प्रत्यक्ष रूप से देखा। हर कोई इन अविस्मरणीय पलों को आत्मसात कर खुद को धन्य महसूस कर रहा था। पूजनीय परम पिता जी ने गुरु गद्दी के इस शुभ अवसर पर साध-संगत को वचन फरमाए, साध-संगत जी, प्रकृति के नियम को तो बदला नहीं जा सकता।
अगर आपने हमें बुजुर्ग बॉडी में देखना है। तो हम आपके सामने बैठे हैं, हमें देख लो और अगर हमें नौजवान बॉडी में देखना है, तो इन्हें यानि गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को देख लो। यह हमारा ही स्वरूप है। साध-संगत ने जो कुछ भी पूछना है, इनसे ही पूछना है। ये हमारा अपना रूप है। इनका वचन हमारा वचन है। हम स्वयं ही नौजवान बॉडी में बैठकर काम करेंगे और साध संगत और डेरे की सेवा संभाल पहले से अब दोगनी, चौगुनी, कई गुना ज्यादा होगी। जो सत्संगी वचनों पर विश्वास करेगा वह सुख पाएगा। पूजनीय परम पिता जी ने इस एतिहासिक मौके पर ये भी वचन फरमाएं कि हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे।
आपको बता दें कि इन 33 सालों में पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मानवता व इस धरा पर बेशुमार उपकार किये है और लगातार किये जा रहे है, जिनका बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता। विश्वभर में साढ़े 6 करोड़ से ज्यादा लोग आप जी को अपना प्ररेणास्त्रोत मानते हैं। युवा आप जी को डॉ. एमएसजी, खिलाड़ी पापा कोच, शिष्य, गुरु जी, सिने प्रेमी रॉक स्टार और विश्व आप जी को ‘युग प्रवर्तक’ के नाम से जानता है। तीसरी पातशाही के रूप में पूज्य गुरु जी ने जब से डेरा सच्चा सौदा की कमान संभाली तब से आज तक पूज्य गुरु जी का हर क्षण सिर्फ और सिर्फ देश व समाज हित को समर्पित रहा। इन 33 सालों में पूज्य गुरु जी ने 159 मानवता भलाई कार्यों की शुरूआत कर सृष्टि के कल्याण व समाज में घर कर चुकी विभिन्न सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का काम किया है।
बात नारी उत्थान की हो, कन्या भ्रूण हत्या रोकने की या वैश्याओं को बेटी बनाने की, पूज्य गुरु जी ने इस दिशा में जो कार्य किये हैं वो इतिहास में आज तक किसी ने नहीं किये। देश पर जब प्राकृतिक आपदा आई, पूज्य गुरु जी ने स्वयं जाकर उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। देश में जब कोरोना वायरस ने अपना कहर इंसान पर बरपाया तब पूज्य गुरु जी के एक आह्वान पर करोड़ों डेरा श्रद्धालुओं ने रक्तदान करने, घर घर जाकर भोजन पहुंचाने का काम किया। ऐसे न जाने कितने अनगिनत उपकार है सृष्टि पर, इस महान संत के। जिसे लिख या बोलकर बताना असंभव हैं। लेकिन हां, आज पूरी दुनिया इन परोपकारों के बदले डॉ. एमएसजी को कोटि कोटि नमन कर उनका दिल से आभार जरूर जता रही है। ऐसे में आज सच कहूँ भी 23 सितम्बर के इस शुभ अवसर पर सभी को महापरोपकार दिवस की तहदिल से बधाई देता हैं।