ओढ़ा खंड में 37 पंचायतें: 21 गांवों ने भेजे विकास कार्यों के प्रस्ताव, 16 ई-टेंडरिंग से नाराज
- खिलाफत में अटका गांवों के विकास का पहिया
- सरपंच बोले: ई-टेंडरिंग प्रणाली वापस नहीं होने तक नहीं भेजेंगे कोई प्रस्ताव
ओढां (सच कहूँ/राजू)। लोगों ने तीन माह पूर्व गांवों की छोटी सरकार चुनकर विकास की उम्मीद जताई थी, लेकिन खिलाफत के फेर में गांवों के विकास का पहिया आगे नहीं बढ़ पा रहा। सरपंचों का तीन माह का कार्यकाल ई-टेंडरिंग को लेकर सरकार की खिलाफत में बीत गया। लेकिन अभी तक सरकार व सरपंचों के बीच वार्ता पटरी पर नहीं चढ़ी है। बता दें कि इससे पूर्व भी करीब दो वर्ष तक नई पंचायतों का गठन न होने के चलते गांवों में विकास कार्य रुके रहे।
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अब जब नई पंचायतें बनी हैं तो ई-टेंडरिंग का मुद्दा उठ खड़ा हुआ। सरकार इस प्रणाली को उचित ठहरा रही है तो वहीं सरपंच इसका विरोध करते हुए सड़कों पर उतरे हुए हैं। वहीं लोगों का कहना है कि दो वर्ष से तो पहले ही विकास ठप पड़े थे और अब तीन महीने और हो गए। सरकार को चाहिए कि इस मसले का कोई हल निकाले। बता दें कि सरकार ने चालू वर्ष में पंचायती राज संस्थाओं को अंतिम तिमाही के लिए 1100 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।
पन्नीवाला मोटा व ओढ़ां में भी रुका विकास
ओढां खंड के 37 गांवों में से 21 गांवों की पंचायतों ने विकास कार्यों के प्रस्ताव दे रखे हैं तो वहीं बाकी 16 पंचायतों ने कार्य का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। खंड में गांव पन्नीवाला मोटा व ओढां 2 गांव सबसे बड़े गांव माने जाते हैं। पन्नीवाला मोटा की आबादी 10 हजार के आसपास है। लेकिन इस गांव में अभी तक विकास के नाम पर एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है। पंचायत द्वारा गांव में निकासी नालियों व नाथ मोहल्ले में सामुदायिक केन्द्र का प्रस्ताव भेजा है। लेकिन अभी तक सरपंचों की खिलाफत के चलते कार्य शुरू नहीं हो पाया है। गांव ओढां में अभी छोटे-मोटे कार्य करवाए जा रहे हैं, लेकिन ई-टेंडरिंग प्रणाली के तहत अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ।
सरकार ने खाते में डाले 11 लाख रुपये
गांव मलिकपुरा की सरपंच अर्शदीप कौर है जोकि ब्लॉक सरपंच एसोसिएशन की प्रधान भी है। उक्त पंचायत के खाते में सरकार द्वारा तकरीबन 11 लाख रुपये की राशि डाली गई है। लेकिन अभी तक कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। वहीं गांव नुहियांवाली की पंचायत ने भी ई-टेंडरिंग प्रणाली के विरोध के चलते गांव में कोई विकास कार्य का प्रस्ताव नहीं भेजा है। सरपंच सुनीता देवी का कहना है कि गांव में बहुत से विकास कार्य अधूरे व प्रस्तावित हैं। लेकिन जब तक सरकार ये प्रणाली वापस नहीं ले लेती तब तक गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हो पाएगा।
लोगों ने हमें विकास की उम्मीदों के साथ गांव की बागडोर सौंपी थी। लेकिन गांव में अभी तक कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। लोग हमसे जवाब मांग रहे हैं। जब तक सरकार ई-टेंडरिंग प्रणाली वापस नहीं ले लेती तब तक ओढां ब्लॉक की सरपंच एसोसिएशन इसका विरोध करती रहेगी।
– अर्शदीप कौर मलिकपुरा, प्रधान (सरपंच एसोसिएशन खंड ओढां)।