193 पाकिस्तानियों को वापिस भेजा स्वदेश

Pakistanis Citizen

लाकडाउन के चलते फंस गए थे कई राज्यों में

चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़/सच कहूँ)। बेशक पाकिस्तान कश्मीर में आए दिन अपने नापाक इरादों के साथ आतंकवादी हमलों को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहा। लेकिन हिंदुस्तान है कि अपनी नेक-नियत और बड़प्पन पर अडिग है। जिसका जीता-जागता सबूत आज उस वक्त मिला जब भारत में कोरोना महामारी और लाकडाउन में फंसे 193 पाकिस्तानी नागरिकों को केंद्र की मोदी सरकार ने सही सलामत अटारी-वाघा बॉर्डर से वापिस पाकिस्तान भेज दिया। भारत में लगभग पिछले 40 दिनों से फंसे सभी पाकिस्तानी नागरिकों ने जाते-जाते हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों के लिए बेहद इज्जत और मोहब्बत का इजहार किया।

केंद्र सरकार ने किया वापिस भेजने का इंतजाम

रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी नागरिकों को मंगलवार की सुबह अटारी-वाघा सीमा पर पहुंचने के लिए कहा गया था, जहां सीमा चैकी पर इन लोगों की इमिग्रेशन की औपचारिक कार्यवाही के पश्चात इन्हें पाकिस्तान रवाना कर दिया गया। बता दें कि पाकिस्तान उच्चायोग ने भारत से देश के विभिन्न हिस्सों से अपने नागरिकों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में मदद करने का अनुरोध किया था। वहीं पाकिस्तान जाने से पहले वाघा सीमा पर सभी पाकिस्तानी अलग-अलग राज्यों से यहां पहुंचे। सभी अपनी-अपनी गाड़ियों बसों में बैठे रहे।

बीएसएफ अधिकारियों ने पूरी एहतियात के साथ इनकी पूछताछ की। फिर इनकी स्क्रीनिंग की। आईसीपी में दाखिल करवाया गया, जहां से सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद इन्हें वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया गया। पाकिस्तान जाने से पहले कुछ पाकिस्तानी नागरिकों ने बताया कि इन 40 दिनों में जिस तरह से वह भारत में सुरक्षित रहे, उस तरह से वह पाकिस्तान में शायद ही सुरक्षित रह पाते।

यहां दिलों में इंसानियत बसती है: अहमद

कराची से 3 मार्च को कोलकाता अपने रिश्तेदारों के पास रहने गए सईद अहमद ने बताया कि दो महीने के लॉक डाउन में भारत में रहकर भारतीयों के दिलों को जाना। हम लोग पाकिस्तान में रहकर न कर पाते। यहां हर इंसान अपने से ज्यादा दूसरे की फिक्र करता है। मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। इंसानियत सबके दिलों में बसती है।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहकर आए इनायत हुसैन बताते हैं – भारत सरकार द्वारा किया गया लॉकडाउन ही सही मायने में लॉकडाउन है। मुझे यहां दो महीने हो गए। कभी यह महसूस नहीं हुआ कि हम किसी पराए देश में हैं। जैसे लोग पाकिस्तान में वैसे ही हिन्दुस्तान में हैं। मगर सुख यह था कि घर बैठे खाना मिल रहा था और लोग सेवा के लिए किसी चीज की कमी नहीं आने दे रहे थे। मन खुश हो गया हिन्दुस्तानियों की मेहमाननवाजी से।

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