dera sacha sauda: सच कहूँ/संदीप सिंहमार। हिसार। देशभर से अंधत्व दूर करने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 अप्रैल से 7 अप्रैल तक अंधत्व निवारण सप्ताह का आयोजन किया जाता है। इस दौरान केंद्र सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय जिला स्तर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जागरूकता अभियान चलाता है। इस अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ देशभर में कार्यरत सामाजिक संस्थाएं भी अपनी भूमिका निभाती है। इसके बावजूद भी भारत में अंधत्व या दृष्टिहीनता बड़े स्तर पर फैली हुई है। वार्षिक कार्यक्रम का उद्देश्य दृष्टिबाधित व्यक्तियों का समर्थन करना और नेत्र देखभाल सेवाओं तक पहुंच को बढ़ावा देना है। भारत सरकार अंधेपन का कारण बनने वाले कई कारकों को उजागर करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करती है। कई विभाग दृष्टिहीनों और उनकी विकलांगता के लिए समावेशिता लाने की दिशा में काम करते हैं।
इस सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों में कई संस्थागत पहलू जैसे कि नेत्रहीनों के लिए रोजगार के अवसरों में सुधार,अधिक नेत्र देखभाल स्वास्थ्य संस्थानों का निर्माण और विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी विषयों को शामिल करना फोकस में रहेगा। पर इस अंधत्व सप्ताह के दौरान नेत्रदान का संकल्प लेकर दृष्टि का उपहार दिया जा सकता है। इंसानी नश्वर शरीर त्यागने के बाद नेत्रदान किया जा सकते हैं। नेत्रदान के लिए एक बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान अंगदान की बात पर जोर दे चुके हैं।
डेरा सच्चा सौदा का नेत्रदान अभियान | dera sacha sauda
भारत में स्थित सामाजिक कल्याण और आध्यात्मिक संगठन डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने नेत्रदान जागरूकता को बढ़ावा देने और अपने अनुयायियों को नश्वर शरीर त्यागने के बाद अपनी आँखें दान करने का संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संगठन नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कॉर्निया प्रत्यारोपण के माध्यम से दृष्टिबाधित व्यक्तियों को उनकी दृष्टि वापस लाने में मदद करने के लिए विभिन्न पहलों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। डेरा सच्चा सौदा ने नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और इस प्रक्रिया से जुड़े मिथकों और गलतफहमियों को दूर कर अपने अनुयायियों को नेत्रदान के प्रति प्रेरित किया।
नेहरू ने की थी नेशनल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन आॅफ ब्लाइंडनेस की स्थापना
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राज कुमारी अमृत कौर ने नेशनल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन आॅफ ब्लाइंडनेस की स्थापना की थी। इसके साथ ही अंधत्व निवारण सप्ताह 1960 में शुरू किया गया। तब से लेकर अब तक देश भर में कुछ सामाजिक संगठन भी सरकार के इस अभियान से जुड़े। कुछ संस्थाएं तो ऐसी है जिन्होंने युद्ध स्तर पर अंधेरी जिंदगी में उजाला लाने के लिए विशेष अभियान चलाए उनमें से एक है डेरा सच्चा सौदा सरसा। यहां पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के आह्वान से साध-संगत ने बड़े स्तर पर नेत्रदान अभियान चलाया। यह अभियान वर्तमान में भी जारी है। डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता एडवोकेट जितेंद्र खुराना इन्सां ने बताया कि 144323 अनुयायी अब तक नेत्रदान का संकल्प ले चुके हैं। इतना ही नहीं 18000 लोग नेत्रदान भी कर चुके हैं।
चौंकाने वाली है डब्लूएचओ की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर कम से कम 2.2 अरब लोगों को निकट या दूर की दृष्टि की समस्या है, जबकि उचित देखभाल से कम से कम एक अरब मामलों को रोका जा सकता था। इसके अलावा इनमें से आधे दृश्य हानि के मामलों का समाधान अभी तक नहीं किया गया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दृष्टि दोष और अंधेपन से पीड़ित अधिकांश लोगों की उम्र 50 वर्ष से अधिक है, लेकिन दृष्टि हानि सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। साइटसेवर्स के डॉ. संदीप बटन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में दृष्टिहीन लोगों की संख्या सबसे अधिक है और अधिकांश आबादी में ट्रेकोमा, विटामिन ए की कमी,ग्लूकोमा और कुपोषण के बारे में जागरूकता का अभाव है। उनका कहना है कि भारत में अंधेपन की दर चिंताजनक है और शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ही आंखों की भी देखभाल करना महत्वपूर्ण है। इसलिए यह सप्ताह अपनी आंखों के प्रति देखभाल व जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण है इसी जागरूकता के साथ-साथ नेत्रदान का भी संकल्प लिया जाए तो इसे सोने पर सुहागा कहा जा सकता है।