रूह दी हनीप्रीत इन्सां, डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति व चिकित्सकों ने अरदास व इलाही नारा बोलकर किया कैंप का शुभारंभ

Yaad-E-Murshid-Free-Camp-18
  • 14वां नि:शुल्क याद-ए- मुर्शिद विकलांगता निवारण शिविर शुरु
  • मरीजों की नि:शुल्क जांच के अलावा चयनित मरीजों के होंगे फ्री ऑपरेशन, दिए जाएंगे कैलीपर

सिरसा सुनील वर्मा। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना (Yaad-E-Murshid Free Camp) जी महाराज की पावन स्मृति में मंगलवार को शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में 14वां नि:शुल्क याद-ए- मुर्शिद विकलांगता निवारण शिविर शुरु हुआ। इस कैंप की शुरुआत रूह दी हनीप्रीत इन्सां, डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्यों व शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों व स्टाफ सदस्यों ने अरदास का शब्द बोलकर व धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर किया गया। शाह सतनाम जी रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन सिरसा की ओर से आयोजित इस कैंप में चयनित मरीजों के ऑपरेशन, ऑपरेशन से पूर्व जांच, एक्सरे, दवाइयां व कैलीपर आदि नि:शुल्क दिए जाएंगे।

वहीं कैंप में चयनित मरीजों के ऑपरेशन 19 व 20 अप्रैल को शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ऑपरेशन  थिएटर में हड्डियों के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किए जाएंगे। कैंप में शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल से हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. वेदिका इन्सां, प्लास्टिक सर्जन डा. स्वप्निल गर्ग इन्सां, डा. पुनीत इन्सां, मानसा से डा. पंकज शर्मा, हिसार से डा. संजय अरोड़ा, डा. कुलभूषण, डा. सुशील आजाद, आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. अजय गोपलानी, डा. मीना गोपलानी, फिजियोथेरेपिस्ट जसविन्द्र इन्सां व नीता सहित अनेक चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे है।

                    शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के (Yaad-E-Murshid Free Camp) आरएमओ डा. गौरव अग्रवाल इन्सां ने कहा कि यह शिविर हड्डियों से संबंधित मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। शिविर में हड्डी संबंधित रोगों की जांच, ऑपरेशन सहित दवाइयां मरीजों को फ्री में दी जाती है। इस कैंप का लाभ उठाने के लिए हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से मरीज आते है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. वेदिका इन्सां ने कहा कि कैंप में सीटीईवी रोग व सीपी रोग संबंधी मरीज अधिक आते है। सीटीईवी रोग यानी जन्म के समय से ही बच्चों के पैर का पंजा टेढ़ा रहता, उनका यहां आॅपरेशन व फिजियोथरेपी विधि से उनका उपचार किया जाता है।

छाया:सुशील

दूसरी है सीपी यानी सेरेब्रल पाल्सी जिसमें बच्चों की (Yaad-E-Murshid Free Camp) शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि सेरेब्रल शब्द का अर्थ मस्तिष्क के दोनों भागों से होता है और पाल्सी शब्द का अर्थ शारीरिक गति की कमजोरी या समस्या से है। यह एक तरह की विकलांगता है जिसमे बच्चो को वस्तु पकड़ने और चलने में समस्या होती है। डॉ. वेदिका इन्सां ने मरीजों को सेरेब्रल पाल्सी संबंधी बीमारी से जागरूक करते हुए कहा कि इस बीमारी का ऑपरेशन ही एकमात्र हल नहीं है। इसके लिए मरीजों को ऑपरेशन के पश्चात जब तक बच्चा 12 से 15 साल का नहीं हो जाता तब तक वह निरंतर चिकित्सकों के संपर्क में रहे और बताई गई एक्सरसाइज करवाते रहे। तभी इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।

 2008 में हुई थी कैंप की शुरुआत

नि:शुल्क याद-ए- मुर्शिद विकलांगता निवारण शिविर की (Yaad-E-Murshid Free Camp) शुरुआत साल 2008 से हुई है और 2020 में कोविड काल को छोड़कर हर साल यह कैंप आयोजित हुए है। अब तक इन कैंपों में 2500 से अधिक मरीजों की जांच की गई है। जिनमें से 521 मरीजों को ऑपरेशन के लिए दाखिल किया गया है। जिनकी 705 ऑपरेशन किए गए है। कई मरीजों के दो-दो-तीन-तीन आॅपरेशन भी हुए है। इसके अलावा 547 मरीजों को कैलीपर (कृत्रिम अंग) भी दिए गए है।

 18 अप्रैल 1960 को साईं ने बदला था चोला

गौरतलब है कि साईं  शाह मस्ताना जी महाराज ने इंसानियत की अलख जगा कर समस्त मानवता पर महान परोपकार किया और लोगों को जीने की सही राह दिखाई। बाद में 18 अप्रैल 1960 को साईं   जी ने चोला बदला। इनके बाद परम पिता शाह सतनाम जी महाराज व अब पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत मानवता भलाई के कार्य कर समाज को नई दिशा दे रही है।

छाया:सुशील

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