Arvind Kejriwal : ‘‘दिल्ली सरकार को लगनी चाहिए फटकार’’
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खींचतान जारी है, इसी बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। मामले में याचिकाकर्ता वकील अशोक अग्रवाल ने दिल्ली सरकार पर कड़े आरोप लगाए और दावा किया कि दिल्ली के बेहद प्रचारित स्कूलों की हकीकत विज्ञापनों से काफी अलग है। Delhi News
अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में पानी की आपूर्ति, वर्दी, पाठ्यपुस्तकें आदि जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। इसके लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई जानी चाहिए। उनके द्वारा दिखाए जाने वाले विज्ञापनों से पता चलता है कि वे विश्व स्तरीय संस्थान चलाते हैं, लेकिन वास्तविकता पूरी तरह से अलग है। अग्रवाल ने कहा कि मैंने दिल्ली सरकार और एमसीडी के कई स्कूल देखे हैं, मैंने दिल्ली में एक कक्षा में 140 छात्रों को देखा…इसलिए एक कक्षा में तीन खंड एक साथ बैठते हैं…पानी की कोई सुविधा नहीं है और यही स्थिति मैंने एमसीडी स्कूलों में भी देखी। Delhi News
वकील ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लेख किया और दिल्ली सरकार को दिल्ली नगर निगम स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की याद दिलाई। मुद्दा यह है कि एमसीडी में 8 लाख छात्र पढ़ते हैं और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत, छात्र पाठ्य पुस्तकें, नोटबुक, लेखन सामग्री और वर्दी प्राप्त करने के हकदार हैं। 8 लाख में से किसी भी छात्र को इसमें से कुछ भी नहीं मिला है। इसी तरह, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाले कक्षा 1 से 8 तक के 10 लाख छात्र दिल्ली सरकार के अधीन हैं। उच्च न्यायालय (दिल्ली सरकार और एमसीडी) की फटकार के बाद उन्हें किताबें मिलीं, लेकिन किसी भी छात्र को किताबें नहीं मिलीं। Delhi News
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