इटावा (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश में इटावा स्थित सैफई मेडिकल यूनीवर्सिटी में मरीजो को पिछले 15 सालों से बिना टेंडर के आहार देने वाली फर्म के सेवा विस्तार मामले में शासन की जांच के बाद 14 अधिकारियों को जांच में दोषी पाया गया है। कुलपति डा.रमाकांत यादव ने गुरूवार को बताया कि मामले की जांच रिपोर्ट मिल गई है। 10 लोगों के खिलाफ यूनीवर्सिटी स्तर से कार्रवाई होगी। दो लोग सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि वित्त नियंत्रक और कुलसचिव के खिलाफ शासन स्तर से कार्रवाई की जायेगी। उन्होने बताया कि साल 2006 में सैफई मेडिकल संस्थान बनकर तैयार हुआ था, उस समय पुराना किला लखनऊ की फर्म मेसर्स एससी अग्रवाल को अस्पताल में आने वाले रोगियों को आहार उपलब्ध कराने के लिए संस्थान से तीन वर्ष का ठेका अनुबंध किया गया था,जो 30 मई 2009 तक था लेकिन उसके बाद बिना किसी टेंडर के उनके ठेके का आगे विस्तार किया जाता रहा । वर्ष 2008 में इस फर्म के मालिक एससी अग्रवाल के पुत्र केवी अग्रवाल का संस्थान में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर चयन हो गया था ।
क्या है मामला:
वर्ष 2009 के बाद से नई निविदा प्रकाशित न होने पर केवी अग्रवाल भी आरोपों के घेरे में आए थे। पूरे मामले में वित्त एवं लेखाधिकारी प्रदीप कुमार ने 13 मई 2020 को इसकी शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग आलोक कुमार को की थी। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने पूरे मामले की जांच कानपुर मंडल के कमिश्नर डा. राजशेखर को दी थी। उन्होंने अनियमितता पाए जाने पर पूरी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी। उन्होने बताया कि दोषी पाये गये अधिकारियों में राकेश कुमार लेखाधिकारी, विपिन कुमार वरिष्ठ लेखाधिकारी, संदीप दीक्षित कार्यालय अधीक्षक, डा. आदेश कुमार प्रभारी पेशेंट किचिन एवं चिकित्साधीक्षक उमाशंकर सहायक प्रशासनिक अधिकारी, मिथलेश दीक्षित, राजकुमार सचबानी अनुबंध प्रकोष्ठ, प्रवीण कुमार शर्मा, डा. जेपी मथुरिया, एके राघव सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी, वित्त नियंत्रक के.वी अग्रवाल, कुलसचिव सुरेश चंद शर्मा, सेवा निवृत्त वित्त नियंत्रक पीएन सिंह, वर्तमान वित्त निदेशक विजय कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।