मुंबई। मौका था नवी मुंबई में maharashtra bhushan award ceremony का। ऊपर (Heat Wave) से तेज धूप और गर्मी का प्रकोप, जिसने 11 लोगों को झुलसाकर मौत की नींद सुला दिया और लगभग 120 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। वहीं 300 लोगों को डिहाइड्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और थकावट की शिकायत हो गई। उस समय वहां का टेम्प्रेचर 38 डिग्री सेल्सियस था।
ऐसी गर्मी में अगर आप यात्रा कर रहे हैं, ऐसी ही किसी रैली या कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाले हैं, या फिर किसी की शादी-समारोह में जा रहे हैं तो अपनी देखभाल कैसे करें इस पर आज चर्चा करेंगे।
जानें एक्सपर्ट्स की राय- Heat Wave
डॉ. मनीष पेंडसे, कंसल्टेंट फिजिशियन, मेडिकवर हॉस्पिटल, नवी मुंबई
डॉ. पी वेंकट कृष्णन, इंटरनल मेडिसिन, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
डॉ. हरि प्रसाद यादव, गैस्ट्रोलॉजिस्ट, मेदान्ता, इंदौर
सवाल: तीक्ष्ण गर्मी का प्रभाव सबसे ज्यादा किन लोगों पर होता है?
जवाब: ब्लड प्रेशर के मरीज, बुजुर्ग, छोटे बच्चे, थायराइड मरीज, हार्ट मरीज, किडनी मरीज, प्रेग्नेंट महिला, डायबिटीज पेशेंट
सवाल: कुछ लोगों का सवाल है कि महाराष्ट्र का हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन, दोनों एक हंै या अलग?
जवाब: हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक आम भाषा में ‘लू लगना’ होता है। ये तब होता है, जब शरीर अपने टेम्प्रेचर को कंट्रोल नहीं कर पाता। इसमें शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और कम नहीं होता।
इस बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब किसी को लू लगती है तो शरीर का स्वेटिंग मैकेनिज्म फेल हो जाता है। 10 से 15 मिनट के भीतर शरीर का तापमान 106त्ऋ या इससे अधिक हो सकता है। समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाता है तो इससे मौत या आॅर्गन फेल्योर हो सकता है।
वहीं हीट एग्जॉशन का सीधा मतलब है शरीर से पानी और नमक दोनों पसीना बनकर निकल जाना। सरल भाषा में कहें तो इस सिचुएशन में शरीर से काफी पसीना निकल जाता है। यह एक सीरियस समस्या है, इसमें इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। इसलिए महाराष्ट्र का केस हीट स्ट्रोक का नहीं हीट एग्जॉशन का ही है।
हीट एग्जॉशन की ये वजहें हो सकती हैं:- Heat Wave
1. ज्यादा गर्म जगह पर देर तक रहना।
2. ठंडी जगह से अचानक गर्म जगह पर जाना।
3. गर्मी में खूब एक्सरसाइज करना।
4. बहुत पसीना आने के बाद जरूरत के हिसाब से पानी नहीं पीना।
5. अल्कोहल ज्यादा पीना।
6. जंक फूड ज्यादा खाना।
7. ऐसे कपड़े पहनना जिनसे पसीना और हवा न पास हो।
सवाल: हीट एग्जॉशन के लक्षण क्या होते हैं?
जवाब: खूब पसीना निकलना, हाथ-पैर ठंडे होना, सिर दर्द, मतली और उल्टी, थकान, पल्स रेट तेज होना, हार्ट रेट बढ़ना, मांसपेशियों में दर्द
सवाल: तेज गर्मी से किडनी के मरीज को क्या समस्या हो सकती है?
जवाब: गर्मी में किडनी के मरीज अगर बहुत कम पानी पीते हैं, तो डिहाइड्रेशन हो सकता है। अगर बहुत ज्यादा पानी या लिक्विड पीते हैं तो फ्लूइड ओवर लोड हो सकता है। इसलिए शरीर में पानी की मात्रा को बैलेंस रखना चाहिए।
किडनी के मरीज अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह जरूर ले लें कि कितना पानी पीना चाहिए और कब पीना चाहिए।
एक्सपर्ट्स की सलाह मानें तो जब तक बहुत जरूरी न हो धूप में न निकलें। अगर धूप में जा रहे हैं तब अपने साथ स्प्रे बॉटल में नींबू पानी रखें। ताकि मुंह सूखने और प्यास लगने पर पानी की कुछ बूंदे आराम दें सकें।
सवाल: ब्लड प्रेशर के मरीजों पर गर्मी ज्यादा प्रभाव क्यों डालती है?
जवाब: हाई और लो ब्लड प्रेशर दोनों के ही मरीज ज्यादा देर धूप में न रहें।
गर्मी में बहुत अधिक समय तक तेज धूप में रहने पर ब्लड प्रेशर यानी बीपी कम हो जाता है। ऐसे में अगर लो बीपी के पेशेंट ज्यादा देर धूप में रहेंगे तो उनके शरीर में तेजी से पानी की कमी होगी, उनकी जान तक को खतरा हो सकता है।
दूसरी तरफ अगर हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो उनकी दवाएं रेगुलर चलती हैं। इस वजह से उन्हें बार-बार यूरीन आता है और बॉडी से पानी जल्दी निकल जाता है। धूप में रहने पर सही मात्रा में बॉडी को पानी न मिले तब डिहाइड्रेशन होने लगती है। यह परिस्थिति दुष्परिणाम का कारण बन सकती है।
सवाल: गर्मी से 4-5 घंटे लोग खुले मैदान में खड़े है कार्यक्रम देखने के लिए, ऐसे में डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी होना लाजमी था, डिहाइड्रेशन के लक्षण क्या होते हैं?
जवाब: नीचे दिए गए कुछ लक्षण डिहाइड्रेशन के हो सकते हैं, जैसे- होंठ सूखना, सांस लेने में दिक्कत, सिरदर्द, चक्कर आना, मतली होना, थकान, यूरीन कम आना, मांसपेशियों में दर्द
सवाल: हम किसी ऐसी जगह पर जा रहे हैं जहां गर्मी के मौसम में खुले में ही 4-5 घंटे बिताना है, ऐसे में पानी की कमी न हो इसके लिए क्या सावधानी रखनी चाहिए?
जवाब: अगर आप कहीं भी भरी दोपहरी में निकल रहे हैं। जैसे- पेपर देने, सफर पर, किसी धर्म स्थल पर, मंदिर में दर्शन करने, राशन लेने या किसी इमरजेंसी में तो धूप में बिना तैयारियों के न निकलें। गर्मी या लू में बेफिक्र घूमने वालों को अलर्ट रहने की जरूरत है।
सवाल: हीट एग्जॉशन की वजह से पानी की कमी (Heat Wave) हुई और लोगों की जान चलीं गई, क्या ऐसा हो सकता है कि गर्मी की वजह से कुछ लोगों को हार्ट अटैक आया हो?
जवाब: ये कन्फर्म तो नहीं बताया जा सकता है। पर समारोह में बहुत देर तक लोगों के धूप में बैठने से पानी की कमी हुई होगी।
पानी की कमी से खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यही कारण है कि हार्ट अटैक पड़ने के अवसर बढ़ जाते हैं।
गर्मी में शरीर का तापमान ज्यादा बढ़ने से हार्ट को अपना काम करने में दिक्कत आने लगती है। जिन्हें पहले से ही हार्ट रिलेटेड समस्या है, उन्हें बहुत ध्यान देना चाहिए।
सवाल: तेज गर्मी से खुद को कैसे बचाएं? (Heat Wave)
जवाब: जितना हो सके ज्यादा पानी और नारियल पानी पिएं।
मौसमी फल-जूस जैसे तरबूज, नींबू पानी, टमाटर आम पन्ना पीते रहें।
एकदम से ठंडी जगह से गर्म जगह पर न जाएं। इसी तरह गर्म से ठंडी जगह पर न जाएं।
घर से निकलने से पहले छाता, टोपी, हेलमेट लेकर निकलें।
सनस्क्रीन लगाकर ही धूप में बाहर निकलें।
चश्मा जरूर लगाकर निकलें। अच्छे चश्मे, जो कम से कम 99% यूवीबी किरणों और 50% तक यूवीए किरणों को रोकते हों उन्हें ही यूज करें।
ज्यादा गर्मी लगने पर क्या करें
1. जिस व्यक्ति को लू लगी है उसे धूप में न रखें।
2. कपड़ों की मोटी लेयर हटा दें और हवा लगने दें
3. शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए कूलर या पंखे में बैठाएं।
4. ठंडे पानी से नहलाएं।
5. शरीर को ठंडे पानी के कपड़े से पोछें।
6. सिर पर आइस पैक या कपड़े को ठंडे पानी से गीला करके रखें।
7. ठंडे पानी में भीगे तौलिए को सिर, गर्दन, बगल और कमर पर रखें।
8. अगर इन उपायों के बाद भी शरीर का टेम्प्रेचर कम नहीं होता है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें।
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