तीन घंटे में 320 कि.मी. का सफर तय करके हिमाचल प्रदेश से लाया गया गुरुग्राम (Heart surgery of 3-year-old child)
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10 घंटे लम्बी चुनौतीपूर्ण नॉरवुड आॅपरेशन से किया उपचार
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हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम से पीड़ित था बच्चा
संजय मेहरा/सच कहूँ गुरुग्राम। लॉकडाउन के बीच 3 साल के एक बच्चे को जिन परिस्थितियों में जीवनदान मिला, वह बच्चे को तो शायद कभी याद रहे, लेकिन उसके माता-पिता और जानने वालों को यह जीवनभर याद रहेगा। हां, उस बच्चे को बताया जरूर जाएगा कि कोरोना की बीमारी के बीच लॉकडाउन में उसे किन परिस्थितियों में चंद घंटे में सैंकड़ों किलोमीटर दूर ले जाकर उपचार कराया गया। हकीकत में यह स्थिति भयावह भी कही जा सकती है और चुनौती भी।
हिमाचल प्रदेश के सुदूर इलाके में बच्चे का जब जन्म हुआ था
लेकिन जल्द ही उसने बहुत तेजी से सांस लेना शुरू कर दिया। जन्म के 3 दिन बाद जब बाल रोग विशेषज्ञ से चेक कराया गया और डॉक्टर ने उसके दिल की धड़कन सुनी। इस दौरान पता चला कि वह अत्यंत जटिल ह्दय रोग हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम से पीड़ित है। यह एक जटिल और दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग है, जिसमें शिशु के हृदय का बायां भाग अविकसित होता है। आमतौर पर हृदय का दाहिना भाग हृदय से फेफड़ों तक रक्त संचार करता है।
- हृदय का बायां भाग शरीर के बाकी हिस्सों में आॅक्सीजन युक्त रक्त संचार करता है।
- हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे का हृदय शरीर में आॅक्सीजन युक्त रक्त का संचार नहीं कर पाता है।
- इस कारण से बच्चे की जान खतरे में थी।
- उसे बचाने के लिए तत्काल नोरवुड आॅपरेशन (ओपन हार्ट सर्जरी) की आवश्यकता थी।
- जिस क्षेत्र का यह बच्चा था, वह सुविधा वहां के अस्पतालों में नहीं थी।
अस्पताल में पहुंचने पर बच्चा जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहा था। उसकी किडनी फेल हो गई थी। धमनी को खोलने के लिए एक उपचार शुरू किया गया। 10 घंटे लम्बी सर्जरी करके उसे यहां जीवनदान दिया गया। उपचार के बाद बच्चे के पिता ने कहा कि हम अस्पताल की पूरी प्रबंधन टीम के साथ एम्बुलेंस चालक के आभारी हैं। उन्होंने हमें उम्मीद नहीं खोने दी और बच्चे की जान बचाई।