भारतीय अर्थव्यवस्था: देश की आर्थिक हालत बिगड़ी, जीडीपी गिरी, वित्त मंत्री ने कई बैंकों के विलय का किया ऐलान
- पीएनबी में यूबीआई-ओबीसी का मर्जर
- बैंक कर्मियों की छँटनी नहीं होगी
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। सरकारी बैंकों को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की शुक्रवार को घोषणा की जिसके बाद देश में सर्वाजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहाँ संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ओरियंटल बैंक आॅफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया जाएगा।
इसी प्रकार केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय होगा। यूनियन बैंक के साथ आँध्रा बैंक और कॉपोर्रेशन बैंक का विलय किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन विलय प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी। वर्ष 2017 में देश में 27 सरकारी बैंक थे। वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि विलय के बावजूद बैंक कर्मचारियों की छँटनी नहीं की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक में उसके पाँच अनुषंगी बैंकों का विलय किया था।
इसके बाद विजया बैंक और देना बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय किया गया था। इन विलय प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, बैंक आफ इंडिया, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक आॅफ महाराष्ट्रा और यूको बैंक रह जाएंगे। उधर देश की जीडीपी 5.8% से घटकर 5 प्रतिशत हुई।
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इन बैंकों का विलय
- विलय-1- पंजाब नैशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक आॅफ कॉमर्स तथा यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया (दूसरा सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-17.95 लाख करोड़ रुपये)
- विलय-2-केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक (चौथा सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-15.20 लाख करोड़ रुपये)
- विलय-3-यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक तथा कॉरपोरेशन बैंक (पांचवां सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-14.6 लाख करोड़ रुपये)
- विलय-4-इंडियन बैंक, इलाहाबाद बैंक (सातवां सबसे बड़ा बैंक, कारोबार-8.08 लाख करोड़ रुपये)
6 साल में विकास दर सबसे निम्न स्तर पर
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जीडीपी 8.2 प्रतिशत से घटकर हुई 5.0 प्रतिशत
नई दिल्ली। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून की तिमाही में स्थिर मूल्य पर जीडीपी 35.85 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 34.14 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस प्रकार जीडीपी विकास दर पाँच प्रतिशत दर्ज की गयी। विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्द्धन की विकास दर जो पिछले साल अप्रैल-जून के दौरान 12.1 प्रतिशत रहा था, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 0.6 प्रतिशत रह गया।
कृषि, वानिकी एवं मात्स्यिकी की विकास दर 5.1 प्रतिशत से घटकर 2% प्रतिशत रह गयी। हालाँकि, खनन क्षेत्र की विकास दर 0.4 प्रतिशत से बढ़कर 2.7 प्रतिशत पर पहुँच गयी। बिजली, गैस, जलापूर्ति और यूटिलिटी सेवाओं की विकास दर 8.6 प्रतिशत और लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं की विकास दर 8.5 प्रतिशत दर्ज की गयी। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं की विकास दर 7.1 प्रतिशत दर्ज की गयी।