आरबीआई ने आरटीजीएस और एनईएफटी से फंड ट्रांसफर पर शुल्क खत्म किया
मुंबई। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने महँगाई के लक्षित दायरे में रहने के बीच आर्थिक गतिविधियों में आयी सुस्ती के मद्देनजर तंत्र में तरलता बढ़ाने और पूँजी लागत में कमी लाने के उद्देश्य से नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती की है जिससे आवास, वाहन और व्यक्तिगत ऋण सहित सभी प्रकार के ऋण सस्ते होने की उम्मीद है। समिति ने चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति पर तीन दिवसीय दूसरी द्विमासिक बैठक में गुरुवार को सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया। इसके साथ ही समिति ने अपनी तटस्थता बनाये रखने की नीति में भी बदलाव करते हुये एकोमोडेटिव रुख अपनाने का निर्णय लिया है जिससे आवश्यकता होने पर नीतिगत दरों में और कमी किये जाने की संभावना बनी है।
समिति ने लगातार तीसरी बैठक में नीतिगत दरों में कमी की है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल महीने में हुई बैठकों में भी नीतिगत दरों में एक-एक चौथाई फीसदी की कटौती की गयी थी। अब तक तीन बार में कुल मिलाकर 0.75 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।
आज की कटौती के बाद अब रेपो दर छह प्रतिशत से घटकर 5.75 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत से कम होकर 5.50 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 6.25 प्रतिशत से घटकर छह प्रतिशत तथा बैंक दर 6.25 प्रतिशत कम होकर छह प्रतिशत हो गयी है। हालाँकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत पर और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 19.25 प्रतिशत पर यथावत है।
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