हरियाणा की गरमाती सियासत

politics of Haryana

हरियाणा विधानसभा चुनावों में अभी दो महीने का समय बचा है लेकिन प्रदेश में सियासत गरमा चुकी है। दो दिन पहले ही जींद में भाजपा के गृह मंत्री अमित शाह ने रैली की तो रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कालका से जन आशीर्वाद रैली की शुरूआत की, वहीं रोहतक में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने विशाल रैली कर कांग्रेस को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। हुड्डा ने रैली में कहा कि आज मैं सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त होकर आया हूँ। नई पार्टी का ऐलान किए बिना उन्होंने अपना घोषणा पत्र तक जारी कर दिया जिसमें हर वर्ग के लिए लोकलुभावन वायदे किए गए।

बुढ़ापा पेंशन 5000 रुपये, किसानों का कर्ज माफ, महिलाओं के लिए फ्री रोडवेज बस यात्रा, कर्मचारियों की पेंशन बहाली, पंजाब के समान वेतनमान, व्यापारियों के लिए टैक्स सरलीकरण, बेरोजगारी भत्ता, पोस्ट ग्रेजुएट के लिए दस हजार व ग्रेजुएट के लिए सात हजार रुपये, गे्रजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट जो ग्रुप डी में नौकरी कर रहे हैं उन्हें सी ग्रेड में अपग्रेड करने का वायदा कर चुनाव का बिगुल फूंक दिया। हुड्डा ने कहा कि अब पहले वाली कांगेस नहीं रही, पार्टी भटक गई है। हुड्डा के इस बयान से स्पष्ट है कि अब उनका कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो चुका है।

हुड्डा ने उनका साथ दे रहे 13 विधायकों के भविष्य की चिंता व्यक्त करते हुए जल्दबाजी में कोई नई पार्टी का ऐलान करने से गुरेज किया और एक 25 सदस्यीय कमेटी के जल्द गठन की घोषणा की जिसमें ये 13 विधायक भी शामिल होंगे। हुड्डा के इस कदम से अब कांग्रेस पार्टी के पास हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा। अगर कांग्रेस बिना देर किए हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान नहीं करती तो हरियाणा में एक नई पार्टी या मंच का गठन तय है। 25 सदस्यीय यह कमेटी अब इस बात पर विचार करेगी कि हुड्डा के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ा जाए या फिर किसी के साथ गठबंधन किया जाए। अब तीन संभावनाएं बची हैं। एक हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ें।

दूसरा हुड्डा के नेतृत्व में नई पार्टी या मंच बनाकर अकेले चुनाव लड़ें। तीसरा, हुड्डा के नेतृत्व में नई पार्टी किसी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े। इन तीन संभावनाओं में पहली और तीसरी संभावना ज्यादा प्रबल है। अगर कांग्रेस बुद्धिमता से निर्णय लेती है तो हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी चुनाव लडेÞेगी अगर ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस पार्टी का हरियाणा में पतन निश्चित है।

 

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