नई दिल्ली,एजेंसी।
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के देश छोड़ने के मामले में सीबीआई ने गुरुवार को सफाई दी। जांच एजेंसी ने कहा कि माल्या के खिलाफ 2015 के लुकआउट सर्कुलर में बदलाव करना ‘एरर ऑफ जजमेंट’ था। पहले सर्कुलर में कहा गया था कि माल्या को एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया जाए। बाद में सर्कुलर को बदलकर कहा गया कि माल्या के नजर आने पर एजेंसी को सूचित किया जाए। बैंकों का 9000 करोड़ रुपए का कर्जदार माल्या 2 मार्च 2016 से लंदन में है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि माल्या ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से 2016 में संसद के सेंट्रल हॉल में 15-20 मिनट तक बात की थी।
इसके बाद माल्या को एयरपोर्ट पर हिरासत में लेने का सीबीआई का सर्कुलर बदल दिया गया था। क्या जेटली के कहने पर ऐसा किया गया? न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पहला लुकआउट सर्कुलर 12 अक्टूबर 2015 को जारी किया गया था। माल्या तब विदेश में था। माल्या के लौटने पर ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन ने सीबीआई से पूछा था कि माल्या दाेबारा विदेश जाने की कोशिश करे तो क्या उसे हिरासत में लिया जाना चाहिए, क्योंकि सर्कुलर में इसका जिक्र था। सीबीआई ने नवंबर 2015 के आखिरी हफ्ते में माल्या के खिलाफ एक और सर्कुलर जारी कर देशभर के एयरपोर्ट अधिकारियों से कहा कि वे माल्या के आवागमन के बारे में सूचना दें। इस सर्कुलर में माल्या को हिरासत लेने के निर्देश नहीं थे। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि उस वक्त माल्या को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि वह सांसद था। उसके खिलाफ कोई गिरफ्तारी वाॅरंट भी नहीं था। वह जांच में सहयोग कर रहा था। एजेंसी केवल माल्या के विदेश आने-जाने की जानकारी चाहती थी।
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