भाजपा में टिकटों को लेकर होगी मारामारी

BJP
  •  कैथल में मारपीट की घटना से बढ़ी पार्टी की चिंताएं

  • प्रदेशाध्यक्ष बोले-हुड़दंगी नेताओं-कार्यकर्ताओं पर होगी कार्यवाही

चडीगढ़ (अनिल कक्कड़/सच कहूँ)।

विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा के साथ कमर कस ली है, लेकिन उसके लिए चुनौतियों भी कम होने वाली नहीं हैं। जिस तरह से दूसरे दलों के नेता अपने समर्थकों सहित भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं, उससे यह बातें उठनी शुरू हो गई हैं कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अन्य दलों की भगदड़ भाजपा को मुश्किल में न डाल दे। कैथल में कार्यकर्ताओं की मारपीट से इस बात को बल भी मिलता दिख रहा है।

  • कैथल में भाजपा नेता पूर्व विधायक लीलाराम गुर्जर और नरेंद्र गुर्जर के समर्थकों के भिड़ने से कईयों को चोटे लगीं हैं

हालांकि सीएम मनोहर लाल ने मौके पर ही दोनों गुर्जर नेताओं को गले मिलवा सुलह करवा दी। लेकिन ये सुलह वास्तव में काम भी करेगी या मुश्किल बढ़ाएगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी यात्रा के दौरान खुद सारी कमान संभाले हुए हैं, वहीं वे लगातार विपक्ष को निशाने पर ले रहे हैं। खासतौर पर भूपेंद्र हुड्डा और ओम प्रकाश चौटाला को खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं। वहीं टिकट की दावेदारियों की दुश्वारियों से पार्टी कैसे निकलेगी ये देखना वाली बात है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि कैथल में मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा से पहले भिड़ने वाले कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही की जाएगी। ऐसे में भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि अनुशासन में रहने वाला ही टिकट और ओहदे का हकदार होगा।

  • टिकट के चाह्वानों में लगातार इजाफा

चूंकि भाजपा अबकी बार 75 पार का नारा लेकर चल रही है और दावा किया जा रहा है कि ये लक्ष्य आसानी से पा लिया जाएगा। ऐसे में बहती गंगा में पुराने भाजपाई और अन्य दलों से आए नेता हाथ धोना चाहते हैं। हालांकि विधानसभा में 90 सीटों पर चुनाव होना है लेकिन स्थिति ये है कि प्रदेश का हर शहर, कस्बा टिकट के चाह्वानों के पोस्टरों से अट गया है। इनमें ज्यादातर दावेदार भाजपा के हैं। देखना होगा कि हर शहर के दर्जन भर दावदारों में से किसे टिकट मिलती है और किसे पिछली कतार में भेजा जाएगा।

  • सभी मंत्रियों के टिकट पक्के

हालांकि प्रदेश भाजपा हाईकमान के सूत्र बता रहे हैं कि मौजूदा कैबिनेट के हर मंत्री का टिकट पक्का है। ऐसे में भाजपा के ज्यादातर विधायक ऐसे हैं, जिनका टिकट शायद ही कटे। देखने वाली बात यह होगी कि 47 सीटों वाली भाजपा शेष बची सीटों पर किसे मौका देती है। क्योंकि 2014 में भाजपा के टिकट से हारे हुए उम्मीदवार भी ताल ठोक रहे हैं और कुछ नए चेहरे भी भाजपा में अपनी पहचान बना चुके हैं। ऐसे में जो अन्य पार्टियों के मौजूदा विधायक भी भाजपा में शामिल हुए हैं, वे भी मैदान में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि 90 सीटों पर भाजपा अपने चहेतों, विपक्षी पार्टियों में से आए विधायकों व नेताओं में कैसे टिकट बांटती है।

 

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