प्रेरणास्त्रोत : कर्मयोगी किसान

Binoculars and Toy
Binoculars and Toy

किसान हल जोतने के लिए खेतों में गए। आकाश में चारों ओर घटाएँ छा गई। किसानों ने जमीन साफ कर बैलों को तैयार किया और हल जोतने लग गए। बादल ने किसानों को संबोधित कर तेज आवाज में कहा, ‘‘ऐ किसानो! ये हल चलाना बंद करो और घर जाओ, अब मैं नहीं बरसूँगा।’’ किसानों ने पूछा-‘‘क्यों बाबा ऐसी नाराजगी क्यों? हमसे क्या गलती हुई है, जो आप नहीं बरसेंगे? बादल ने कहा, बस मैं नहीं बरसूंगा।’’ किसानों ने बहुत आग्रह किया। प्रार्थना की लेकिन बादल अड़ा हुआ था कि मैं अब बारह बरस तक नहीं बरसूंगा। किसानों ने फिर भी पूरी मेहनत से हल चलाए और बीज बोए। दूसरे साल किसान फिर पूरी तैयारी के साथ खेतों में गए। बादल ने फिर अपनी बात दोहराई कि ‘‘मैं नहीं बरसूंगा, तुम खेत तैयार करने का, हल चलाने का और बीज बोने का सारा श्रम छोड़कर घर जाओ।’’ किसानों ने फिर भी हल चलाए और खूब मेहनत की। तीसरे वर्ष भी यही स्थिति रही, तो बादल ने कड़ककर पूछा-‘‘तुम क्यों नहीं व्यर्थ के श्रम को छोड़कर घर जाते? मैंने जब कह दिया कि मैं किसी भी हालत में बारह बरस तक नहीं बरसूँगा?’’ किसानों ने कहा-आप बरसे या न बरसें हम तो हल चलाएँगे, बीज बोएँगे, पूरा श्रम करेंगे। क्यों, क्या फायदा? बादल ने पूछा, तो किसान बोले, हम हल नहीं चलाएँगे, तो हमारे बच्चे हल चलाना, जमीन तैयार करना, खेती करना भूल जाएँगे, इसलिए आप बरसें या न बरसें, हम तो अपना काम करेंगे। किसानों के इस संकल्प को देखकर बादल अभिभूत हो गया। इस बात पर खूब बरसा। चारों ओर फसल लहलहा उठी।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।